रावण के गांव में पहली बार श्रीराम, दुरुस्त होने के बाद स्थापित होंगे दशानन

एन सी आर खबर ब्यूरो
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तमाम जद्दोजहद के बावजूद गुरुवार को बिसरख धाम के रावण मंदिर में रावण के दस सिर वाली मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकी। मंदिर में ग्रामीणों की मौजूदगी में श्रीराम परिवार की मूर्ति स्थापित हुई। मंदिर के आचार्य अशोकानंद ने बताया कि गांव में श्रीराम परिवार की मूर्ति पहली बार स्थापित हुई है।

मान्यता है कि रावण का जन्म बिसरख में हुआ था। इसी वजह से यहां राम की मूर्ति नहीं लगाई गई थी। साथ ही यहां रामलीला का मंचन भी नहीं किया जाता है। इसी मंदिर में 11 अगस्त को रावण की मूर्ति की स्थापना होनी थी। मंगलवार को मंदिर में लाठी, डंडे और बंदूक लेकर पहुंचे लोगों ने रावण की बनी मूर्ति समेत मंदिर में दशकों पहले लगी मूर्तियों को तोड़ दिया था। उपद्रव और मूर्तियां तोड़ने के आरोप में 30 लोगों के खिलाफ बिसरख थाने में मामला दर्ज कराया गया है। गोरक्षा हिंदू दल के राष्ट्रीय संयोजक वेद नागर, दूधेश्वर मठ में जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री महंत नारायण गीरी महाराज, अंतरराष्ट्रीय हिंदू सेना के अध्यक्ष कृष्णा गीरी, दिल्ली के कालका मंदिर प्रमुख सुरेंद्र नाथ आदि को आरोपी बनाया गया है। आचार्य अशोकानंद ने बिसरख थाने में मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने बवाल और तोड़-फोड़ समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है।

बिसरख धाम स्थित रावण मंदिर के आचार्य अशोकानंद ने बताया कि गुरुवार सुबह प्रांगण में राम परिवार की मूर्ति स्थापित की गई है। बड़ी संख्या में गांव वालों की मौजूदगी में वैदिक अनुष्ठान के जरिए मूर्ति स्थापना की गई है। उसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया है। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए मंदिर में भारी पुलिस बल तैनात रहा। रावण की मूर्ति को बनवाने के लिए भेजा गया है। तैयार होने पर उसे मंदिर में लगाया जाएगा। उधर, मंदिर में रावण की मूर्ति स्थापित होने का पता चलने पर कई हिंदू संगठनों और साधु-संतों ने इसका विरोध किया था। रावण की मूर्ति को लेकर जारी बयानबाजी के बीच 9 अगस्त को उपद्रव के बीच रावण की मूर्ति को तोड़ दिया गया था।

बिसरख इलाके में रावण की मूर्ति तोड़े जाने पर तनाव हो गया। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल गांव में तैनात किया गया। जिसके बाद आचार्य अशोकानंद ने 11 अगस्त को मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा नहीं करने का एलान किया था। तोड़-फोड़ के अगले दिन गांव के लोगों ने एक पंचायत कर रावण की मूर्ति लगाए जाने के फैसले पर सर्वसम्मति से फिर मुहर लगाई। अलबत्ता मंदिर में लगाए जाने के लिए बनाई गई रावण के दस सिर वाली मूर्ति के खंडित हो जाने के कारण उसे दोबारा बनवाने भेजा गया है। मंदिर में श्रीराम परिवार, रावण के अलावा राधा-कृष्ण, रावण के पिता ऋषि विश्रृवा की भी मूर्तियां लगाई जानी थी। अलबत्ता रावण की मूर्ति तोड़ने के कारण श्रीराम परिवार की मूर्ति स्थापित कर महज रस्म अदायगी की गई।

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