इलाहाबाद के एम ए कॉनेवेंट स्कूल जिसने राष्ट्रगान को इस्लाम विरोधी बताया था उसे हमेशा के लिए बंद करने का फैसला लिया गया है। यह फैसला राज्य के शिक्षा विभाग ने लिया है। शिक्षा विभाग की तरफ से कहा गया है कि 1995 से चल रहे उस प्राइवेट स्कूल के पास मान्यता ही नहीं है। स्कूल को बंद करने के लिए जारी नोटिफिकेशन में लिखा है, ‘आपका स्कूल इलाके में बिना किसी मान्यता के चलाया जा रहा है। ऐसे में इसे तुरंत बंद करना होगा। आपको 15 दिन का वक्त दिया जाता है। स्कूल को बंद होने से रोकने के लिए 15 दिन के अंदर मान्यता का सर्टिफिकेट दिखाना होगा।’
यह लेटर 27 जुलाई की तारीख के साथ दिया गया। यानी ‘जन गण मन’ वाला विवाद होने से पहले। वहीं इस लेटर के बारे में पूछे जाने पर शिक्षा विभाग के लोगों ने कहा कि यह उनकी रुटीन एक्सरसाइज है और वह ऐसी जांच करते रहते हैं। इस जांच में जो स्कूल गलत तरीके से चलते पाए जाते हैं उन्हें बंद करने का आदेश दे दिया जाता है। हालांकि, ऐसे में यह सवाल भी खड़ा होता है कि जब स्कूल के पास मान्यता ही नहीं थी तो वह इतने सालों तक कैसे चलता रहा और इस तरफ प्रशासन का ध्यान क्यों नहीं गया। फिलहाल स्कूल के साथ-साथ इसकी दूसरी ब्रांच को भी बंद कर दिया गया है। वह महंदारू बाग में है।
इलाहाबाद के सादियाबाद में बना यह स्कूल फिलहाल भी बंद ही पड़ा है। इसके मालिक हक जो कि 55 साल के हैं उन्हें जेल भेज दिया गया है। उनपर राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 का पालन का करने का आरोप है। इससे पहले 5 अगस्त को स्कूल की प्रिंसिपल रितू त्रिपाठी और कुछ टीचरों ने भी स्कूल छोड़ दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि स्कूल में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रगान ना गाने को कहा गया है।
वहीं, हक की पत्नी रसिया सिद्दीकी को इस सब पर यकीन नहीं है। उनका कहा, ‘मेरे पति ने सरस्वती पूजा के लिए मना किया होगा, राष्ट्रगान के लिए नहीं। राष्ट्रगान स्कूल में पहले से होता रहा है। मैं पिछले स्वतंत्रता दिवस की सीडी ढूंढ रही हूं।’