बंगलुरुः जर्मनी और भारत के बीच बिजनेस बढ़ाने को लेकर तत्पर मोदी और मर्केल

तीन दिन की यात्रा पर चार अक्‍टूबर को भारत पहुंची जर्मनी चांसलर एंजेला मर्केल मंगलवार को बेंगलुरु में शिरकत कर चुकी हैं। उनकी इस यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी भी बंगलुरू पहुंच चुके हैं और अपने भाषाण देने लगे हैं।

बैंगलुरु में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि हमने निवेशकों की लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दूर करने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। वैश्विक नरमी के इस दौर में भारत निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य है। उन्होंने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में एफडीआई प्रवाह 40 प्रतिशत बढ़ा है। पीएम मोदी ने जीएसटी के 2016 में लागू कर दिया जाएगा।

नैस्काम की ओर से आयोजित बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत सही दिशा में अग्रसर है लेकिन इसी से संतुष्ट नहीं रह सकता, हम कारोबार के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मोदी ने उद्योगपतियों से कहा कि बौद्धिग संपदा अधिकार के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय नीति तैयार की जा रही है, यह प्रगतिशील और भविष्योन्मुखी होगी।

इस दौरान दोनों नेता जर्मनी की बड़ी कलपुर्जा बनाने वाली कंपनी बोश के प्‍लांट का दौरा करेंगे और साथ ही यहां के एग्जिक्‍यूटिव से इनोवेशन और रिसर्च पर बात करेंगे, जिससे सरकार के मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को प्रमोट किया जा सके।

इसी दौरे के साथ पीएम मोदी और जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल आज बेंगलुरु में नैस्कॉम स्टार्टअप इवेंट में भी हिस्सा लेंगे। नैसकॉम के इस कार्यक्रम में टीसीएस के सीईओ एन चंद्रशेखरन, टेक महिंद्रा के सीईओ और एमडी सीपी गुरनानी और विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी भी मौजूद होंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी मंगलवार को बॉश कंपनी का दौरा करने भी आए हैं।

मोदी ने कहा कि भारत के आर्थिक बदलाव के लक्ष्‍य को हासिल करने में यह साझेदारी अहम होगी। जर्मनी की ता‍कत और भारत की प्राथमिकताएं एक हैं। दोनों देशों ने 2.25 अरब डॉलर के समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए हैं।

पेरिस में दिसंबर में होने वाली अहम यूएन क्‍लाइमेट चेंज टॉक्स के पहले भारत के क्‍लीन एनर्जी कॉरिडोर के विकास और सोलर एनर्जी इंडस्‍ट्री में जर्मनी निवेश करेगा।

बंदलूरू में तीन घंटे की बातचीत और 18 समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद पीएम मोदी ने कहा भारत की आर्थिक कायापलट करने के हमारे लक्ष्य में हम जर्मनी को अपना स्वाभाविक साझेदार मानते हैं। जर्मनी की ताकत और भारत की प्राथमिकताएं हाथों में हाथ डालकर चल रही हैं।

दोनों ही देशों ने सवा दो सौ करोड़ डॉलर के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें भारत के हरित ऊर्जा गलियारे और सौर ऊर्जा उद्योग के विकास में जर्मन निवेश शामिल है। आगामी दिसंबर में पेरिस में होने वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर बातचीत से पहले हुआ यह समझौता काफी अहमियत रखता है।

एक और समझौते के तहत भारत के केंद्रिय स्कूलों में एक अतिरिक्त विदेशी भाषा के तौर पर जर्मन पढ़ाई जाएगी, वहीं जर्मनी में आधुनिक भारतीय भाषाओं को पढ़ाया जाएगा।
पहले से ही भारत के लिए जर्मनी एक अहम व्यवसायिक पार्टनर रहा है। 2014 में दोनों देशों के बीच करीब 1700 करोड़ डॉलर से ज्यादा का व्यवसाय हुआ है जिसमें केमिकल, मशीन टूल, इलेक्ट्रिकल सामान और टेक्सटाइल शामिल है।

हालांकि मर्केल के विदेश मंत्री फ्रैंक वॉल्टर स्टाइमर ने ‘भारत में कर मतभेद, भ्रष्टाचार, मूलभूत ढांचों में रुकावट और लाल फीताशाही के असर’ को लेकर चिंता जताई है।

जर्मन कंपनियों के भारत सरकार से संपर्क साधने को आसान करने के लिए फास्ट ट्रैक अप्रूवल करार नामे पर हस्ताक्षर किया गया है। इसके तहत अफसरशाही की परतों को दूर करते हुए सिर्फ एक ही संपर्क सूत्र, कंपनियों और सरकार के बीच कड़ी का काम करेगा।

इसके अलावा जर्मनी ने भारत के साथ उस व्यवसायिक शिक्षा की विशेषज्ञता को बांटने के लिए हामी भरी है जिसने इस युरोपीय देश को एक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सबसे आगे लाकर खड़ा किया है। यह निपुणता पीएम मोदी के मेक इन इंडिया अभियान में काफी मददगार साबित हो सकता है।

गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच बीते कुछ वर्षों में आर्थिक संबंध तेजी से बढ़े हैं। यूरोप में भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर जर्मनी है, वहीं तकनीकी सहयोग में वह दूसरा अहम साझेदार है। हालांकि, विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों की वजह से पिछले कुछ वर्षों से द्विपक्षीय व्यापार में ठहराव आ गया है।