रबी फसलों की कटाई के वक्त देश के कई इलाकों में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के बावजूद गेहूं की पैदावार में ज्यादा कमी नजर नहीं आ रही है। मंडियों में गेहूं की आवक और सरकारी खरीद के आंकड़ों को देखकर उम्मीद बंधी है कि उत्पादन लक्ष्य तक पहुंच जाएगा।
खराब मौसम को देखते हुए यह अनुमान जताया जा रहा था कि उत्पादन में 5-6 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। हालांकि, मौसम खराब होने के कारण गेहूं की चमक और उसकी गुणवत्ता पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने खरीद के नियमों में गेहूं की चमक, दानों के आकार और नमी संबंधी मानकों में भारी छूट दी है। खरीददारी के मामले में कई राज्यों ने अभी ही पिछले रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया है।
सरकार की विभिन्न एजेंसियों के जरिये देशभर में गेहूं की खरीद एक जून तक जारी रहेगी। अधिकारी इस अचंभे को किसानों के हौसले और तत्परता का परिणाम बता रहे हैं।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार विभिन्न एजेंसियों के जरिये देशभर में अब तक 2.34 करोड़ टन गेहूं की सरकारी खरीद हो चुकी है जो पिछले साल इस दिन की खरीददारी 2.41 करोड़ टन से थोड़ी कम है।
मंडियों में गेहूं की आवक भी पिछले साल के मुकाबले थोड़ी कम है। पिछले साल मंडियों में 11 मई तक 2.92 करोड़ टन गेहूं की आवक थी जबकि इस साल अब तक 2.71 करोड़ टन ही है। खरीद के मामले में सिर्फ राजस्थान ही पिछड़ा है। उत्तरप्रदेश में इस साल अब तक 7.8 लाख और हरियाणा में 65 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है।