वरिष्ठ आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के बाद प्रमुख सचिव सार्वजनिक उद्यम डॉ.सूर्य प्रताप सिंह भी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के खिलाफ शुरू प्रतियोगियों के आंदोलन के समर्थन में उतर आए हैं।
उन्होंने शुक्रवार को छात्रों और प्रतियोगियों के कैंडल जुलूस का न सिर्फ नेतृत्व किया, बल्कि आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच कराने और अध्यक्ष को हटाने की भी मांग की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भवन से बालसन चौराहा स्थित गांधी प्रतिमा तक निकले कैंडल जुलूस का नेतृत्व करने वाले डॉ.सूर्य प्रताप ने छात्रों के मंच से अन्य आईएएस अफसरों और कर्मचारियों से भी समर्थन में आने की अपील की।
जुलूस के बाद शुक्रवार की रात महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष हुई सभा में प्रमुख सचिव ने सरकार, ब्यूरोक्रेट्स और लोक सेवा आयोग पर सीधा हमला बोला। कहा कि लोक सेवा आयोग अध्यक्ष के ऊपर अभी ‘आका’ का हाथ है, जब तक आका का हाथ उनके ऊपर है, तब तक तो ठीक है लेकिन जैसे ही आका का हाथ हटेगा तो ऐसे लोग जेल में होंगे।उन्होंने कहा कि आयोग अध्यक्ष के खिलाफ तो कई आरोप और एफआईआर दर्ज हैं। यह भी कहा कि लोक सेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष से बेहतर तो प्रतियोगी छात्र कर सकते हैं। नारे लगाने वाले छात्र अध्यक्ष से बेहतर काम कर सकते हैं।
उन्होंने सरकार पर भी तंज कसा। कहा कि सरकार को ऐसे लोगों को संवैधानिक पदों पर बैठाना ही नहीं चाहिए, बल्कि अच्छे एकेडमिक व्यक्ति की तैनाती करनी चाहिए।
उन्होंने पेपर लीक और आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच कराने की बात कही। इस बात पर जोर दिया कि पहले पेपर की तरह दूसरा पेपर भी निरस्त होना चाहिए और पूरी परीक्षा दोबारा होनी चाहिए। उन्होंने छात्रों के आंदोलन को वाजिब ठहराया।कहा कि छात्र आंदोलन के दौरान थोड़ी बहुत गलती तो कर सकते हैं लेकिन उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। छात्रों की आवाज अभी ऊपर तक नहीं पहुंची है। जब उनकी आवाज सातवें आसमान तक पहुंचेगी तो बदलाव होना तय है।
राजनीतिक अहंकार बहुत अच्छा नहीं होता। छात्रों का आंदोलन सिर चढ़ा तो खून चूसने वालों को भागना पड़ेगा। अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने सरकार की हां में हां मिलाने वाले अफसरों पर भी निशाना साधा। कहा, ‘ब्यूरोक्रेट्स राजनीतिज्ञों के लिए नहीं होता, उसकी जिम्मेदारी आम लोगों का हित देखना है।’
उन्होंने प्रतियोगी छात्रों के आंदोलन में उनके अभिभावकों से भी आगे आने की अपील की। आयोग की गिरती साख पर भी चिंता व्यक्त करते हुए बोले कि इससे इलाहाबाद की भी छवि धूमिल हो रही है। इसे बचाने के लिए यहां के लोगों को भी आगे आना चाहिए।