मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद द्वारा जारी गठबंधन सरकार के एजेंडे में राष्ट्रीय महत्व के जिन मुद्दों पर नजरिया साफ किया गया है, उनके मुताबिक गठबंधन के दोनों ही साथी नरम पड़ते दिख रहे हैं। भाजपा को कई मुद्दों पर चुप्पी साधनी पड़ी है। एजेंडा कुछ इस प्रकार है।
अफस्पा
सरकार रियासत में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेगी। इसमें विशेष कानूनों की भी नये सिरे से समीक्षा होगी। सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम ( अफस्पा) के रियासत में लागू रहने पर दोनों दलों का अलग-अलग का मत होने के चलते गठबंधन सरकार अशांत क्षेत्रों को अधिसूचित करने की जरूरत की समीक्षा करेगी। बहरहाल अफस्पा को जारी रखने के मामले में केंद्र सरकार ही आखिरी फैसला लेगी।
अनुच्छेद 370 पर यथास्थिति
अनुच्छेद 370 का जिक्र किए बगैर सीएमपी में इस पर यथास्थिति बहाल रखने की बात कही गई है। सरकार के एजेंडे में कहा गया है कि संविधान में जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है। इस स्थिति को कायम रखा जाएगा।
सेना के अवैध कब्जे वाली जमीन खाली होगी
सुरक्षा बलों की ओर से लीज, लाइसेंस और भूमि अधिग्रहण एक्ट के अंतर्गत की गई अधिगृहीत भूमि को छोड़ अन्य सभी तरह की भूमि को अनाधिकृत कब्जों से मुक्त करवाकर उनके जायज मालिकों को लौटाया जाएगा। अगर किसी भूमि का सुरक्षा जरूरतों को मद्देनजर रखते हुए अधिग्रहण करना पड़े तो मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।
रियासत में शांति और स्थिरता के माहौल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू करने जैसे कदमों में रियासत की गठबंधन सरकार पूरा समर्थन देगी। सौहार्द पूर्ण माहौल को तैयार करने की दिशा में भी जरूरी कदम उठाएं जाएंगे ताकि क्षेत्र में शांति और विकास को मजबूती मिल सके।
विश्वास बहाली को बढ़ावा देने के लिए एलओसी के दोनों तरफ जन संपर्क को बढ़ाया जाएगा। एलओसी के दोनो तरफ यात्राएं, कामर्स, ट्रेड और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए नये रास्तों को खोला जाएगा। तीनों क्षेत्रों में ऐसी कवायदें होगी। इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत की भावना से सियासी संगठनों के अलावा हुर्रियत समेत अन्य संगठनों से भी वार्ता होगी।
कश्मीरी पंडितों की ससम्मान वापसी
कश्मीरी पंडित विस्थापितों को कश्मीर में अपने घरों में पूरे सम्मान के साथ भेजने की दिशा में सभी जरूरी कदम उठाये जाएंगे। विस्थापितों को विश्वास में लेकर इस दिशा में सभी जरूरी कदम उठाएं जाएंगे। 1947, 1965 और 1971 के पाक अधिकृत कश्मीर के रिफ्यूजियों के वन टाइम सेटलमेंट की दिशा में काम किया जाएगा। पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजियों की आजीविका व अन्य मसलों को हल करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को सभी लाभ दिए जाएंगे। सीमा पर गोलीबारी में परिवार के सदस्य को खोने वाले पीड़ित परिवार को एसआरओ 43 के तहत लाभ दिए जाएंगे। एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर लोगों की सुरक्षा के लिए शेल्टरों का निर्माण होगा।