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जनता एक्‍सप्रेस रायबरेली में दुर्घटनाग्रस्‍त, 38 की मौत

रायबरेली। उत्तर प्रदेश में शुक्रवार प्रात: बछरावां स्टेशन के नजदीक हुई देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस की दुर्घटना में 38 लोग मारे गए जबकि 54 लोग घायल हुए हैं। घटना की वजह को लेकर संशय की स्थिति है। बछरावां स्टेशन के अधिकारियों के अनुसार ब्रेक फेल होने के कारण गंगा-गोमती एक्सप्रेस से सीधी टक्कर को बचाने के लिए जनता एक्सप्रेस के चालक ने ट्रेन को लूप लाइन पर डाला जबकि दिल्ली में रेलवे के प्रवक्ता के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के चालक ने सिग्नल की अनदेखी की जिससे इंजन और उससे जुड़े दो डिब्बे पटरी से उतर गए।

घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दुख व्यक्त किया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ के अस्पताल में पहुंचकर घायलों का हाल जाना। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल संरक्षा आयुक्त (उत्तरी क्षेत्र) को घटना की जांच सौंपी है।

गंगा-गोमती से टकराने का था खतरा

मौके पर मौजूद हमारे संवाददाता के अनुसार जनता एक्सप्रेस को रायबरेली के बछरावां स्टेशन पर रुकना था। चालक ने बछरावां स्टेशन अधीक्षक को संदेश दिया कि ट्रेन के ब्रेक फेल हो गए हैं और रफ्तार कम नहीं हो रही है। स्टेशन के दूसरी ओर से उसी समय गंगा-गोमती के आने का समय हो गया था।

जनता एक्सप्रेस बिना रुके स्टेशन को पार कर जाती तो वह सीधे गंगा-गोमती एक्सप्रेस से जा टकराती। इससे बचने के लिए स्टेशन अधीक्षक ने तुरंत जनता एक्सप्रेस को स्टेशन की लूप लाइन में डालने का सिग्नल दे दिया। जनता एक्सप्रेस लूप लाइन पर तेजी से दौड़ती हुई पटरी से उतर गई।

ज्यादातर मरने वाले जनरल कोच के

रायबरेली से करीब 30 किलोमीटर दूर हुई इस दुर्घटना में मरने वाले ज्यादातर लोग इंजन के पीछे लगने वाले जनरल कंपार्टमेंट के थे। इसके आगे वाला गार्ड कोच खाली था, वह भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। माना जा रहा है कि अगर इंजन के ठीक पीछे गार्ड कोच न लगा होता तो मृतकों की संख्या और ज्यादा होती। घायलों को लखनऊ और रायबरेली के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई घायलों की दशा गंभीर है। मृतकों का आंकड़ा बढ़ सकता है।

ग्रामीणों ने बचाई तमाम लोगों की जान

प्रात : नौ बजकर सात मिनट पर हुई दुर्घटना के समय लोग जगकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो रहे थे। तेज आवाज के साथ गतिशील ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होते हुए आसपास के गांवों के लोग दुर्घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने अपने सीमित संसाधनों से घायलों को ट्रेन से निकाला और नजदीकी अस्पतालों में उन्हें पहुंचाया। रेलवे और सरकारी सहायता विलंब से मौके पर पहुंची। परिणामस्वरूप आक्रोशित इलाके के लोगों ने रेल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की।

इसके बाद गैस कटर से जैसे ही दुर्घटनाग्रस्त जनरल कोच को काटा गया-वैसे ही उसमें से लाशों और घायलों का अंबार निकल पड़ा। दुर्घटना के बाद लखनऊ-वाराणसी सेक्शन पर ट्रेनों का आवागमन बाधित हो गया।

मृतक आश्रितों को चार लाख की मदद

दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए रेलवे ने दो लाख रुपये और उत्तर प्रदेश सरकार ने भी दो लाख रुपये की सहायता का एलान किया है। गंभीर रूप से घायलों को रेलवे 50 हजार रुपये और सामान्य घायल को 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देगा। जबकि उप्र सरकार सभी घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद देगी।

 

NCR Khabar News Desk

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