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छत्तीसगढ़: ‘CM का साला’ क्लर्क से जीएम

छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक फाइलों में संजय सिंह कभी-कभी ‘मुख्यमंत्री का साला’ के रूप में उल्लिखित किए जाते हैं। कम से कम एक फाइल में एक ऑफिसर ने संजय सिंह के बारे में टिप्प्णी की है, ‘मुख्यमंत्री के साले संजय सिंह का नया कारनामा।’ विधानसभा के फ्लोर पर भी संजय सिंह कई बार केंद्र में रहे और मुख्यमंत्री रमन सिंह पर भी आरोप लगे। छत्तीसगढ़ के टूरिजम डिपार्टमेंट से संजय सिंह की अमीरी का सफर शुरू होता है। 50 साल के संजय सिंह रमन सिंह की पत्नी वीणा के दूर के भाई हैं। इन्होंने कॉमन चाची के जरिए रिश्ता जोड़ा था। लेकिन रमन सिंह सरकार के 11 सालों के कार्यकाल में इन्होंने खुद को सत्ता के बेहद करीब कर लिया।

जब रमन सिंह ने दिसंबर 2003 में छत्तीसगढ़ की सत्ता संभाली तब संजय सिंह टूरिजम डिपार्टमेंट में क्लास तीन रैंक के एम्पलॉयी थे। कुछ ही सालों में सिंह को दो प्रमोशन मिल गए। क्लास तीन एम्पलॉयी से डेप्युटी जनरल मैनेजर और फिर जनरल मैनेजर की कुर्सी तक पहुंच गए। दोनों प्रमोशन लगातार हुए जो कि अवैध थे। फिर इन्हें ट्रांसपोर्ट जॉइंट कमिश्नर का प्रभार सौंपा गया। इन पर भ्रष्टाचार के और मामले हैं। सिंह दूसरे आरोपों को लेकर भी जांच के घेरे में हैं।

हाल ही में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने विधानसभा में सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के रिश्तेदार होने की वजह से संजय सिंह मनमाने तरीके से फायदा उठा रहे हैं। बघेल ने कहा था कि जोरू का भाई एक तरफ, सारी खुदाई एक तरफ।

 एक और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने रमन सिंह को सलाह दी थी, ‘एक कहावत है- गांव में लाला, खेत में नाला और घर में साला पालना ठीक नहीं है।’ हालांकि संजय सिंह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। लेकिन मुख्यमंत्री रमन सिंह इस मामले में खुद को इन आरोपों के मद्देनजर अलग तरीके से देखते हैं। जब पूछा गया कि संजय सिंह को सरकार से लगातार अवैध फायदे क्यों मिलते रहे। रमन सिंह के ऑफिस ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘संजय सिंह का मुख्यमंत्री ऑफिस से कोई संबंध नहीं है। यदि उन्होंने कुछ गलत किया है तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।’


पूर्व टूरिजम डेप्युटी जनरल मैनेजर एमजी श्रीवास्तव संजय सिंह के खिलाफ जांच कर रहे हैं। संजय सिंह ने धोखाधड़ी से मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बन सभी फायदों को अवैध तरीके से हासिल किया। श्रीवास्तव डीजीएम से रिटायर हुए हैं जबकि संजय सिंह जूनियर होने के बावजूद जीएम की कुर्सी तक पहुंच गए।

संजय सिंह का करियर ग्राफ देख कोई भी चक्कर खा जाए। क्लास तीन रैंक के एम्पलॉयी को 2005 में टूरिजम डीजीएम बना दिया गया। ऐसा रमन सिंह के मुख्यमंत्री बनने के महज दो साल बाद हुआ। तीन सालों में वह जीएम बन गए। यह पोस्ट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व था। 2005 में इनका पे स्केल आसमान छूने लगा। जब लोगों ने शिकायत की तो इनके पे स्केल का रिविजन हुआ और इसे अवैध बताया गया। जांच में आदेश दिया गया कि बढ़ी सैलरी इनसे वसूली जाए। यह आदेश 2008 में दिया गया था लेकिन संजय सिंह ने अब तक भुगतान नहीं किया है।

लंबे वक्त की जांच के बाद 2013 में डिपार्टमेंट ने संजय सिंह के जीएम का प्रमोशन कैंसल कर दिया। जांच में कहा गया कि यह प्रमोशन अवैध था। प्रमोशन बैक डेट में नियमों का उल्लंघन कर पक्षपात तरीके से किया गया था। इसके खिलाफ संजय सिंह हाई कोर्ट गए और प्रमोशन कैंसल किए गए फैसले पर स्टे लगा दिया गया। नंवबर 2013 में टूरिजम सेक्रटरी ने डीजीएम प्रमोशन को भी कैंसल कर दिया। इसमें कहा गया कि क्लास वन से क्लास थ्री में डायरेक्ट प्रमोशन का नियम नहीं है। एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि यह संभवतः पहला वाकया है जब किसी क्लास थ्री रैंक के एम्पलॉयी को तीन सालों में जीएम बना दिया गया।

NCR Khabar News Desk

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