मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंगलवार को जब वित्तीय वर्ष 2015-16 का बजट पेश करेंगे तो लोगों की नजर इस बात पर भी रहेगी कि वे 12 वीं पंचवर्षीय योजना के लिए तय की गई कसौटी पर बढ़ने का कितना दम दिखाते हैं।
वजह, 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी सरकार का मूल्यांकन 12 वीं पंचवर्षीय योजना की उपलब्धियों से भी होगा। यह योजना वर्ष 2012 में इस सरकार के साथ ही शुरू हुई और इसके कार्यकाल के साथ ही खत्म भी हो जाएगी।
इसमें तय कसौटी को साधने का मुख्य दारोमदार बजट पर ही है क्योंकि पिछले तीन बजट से ये सधते नहीं दिखे। मंगलवार का बजट इस नजरिये से भी अहम होगा।
सपा सरकार ने जब सत्ता संभाली थी, तब सूबे की विकास दर 6.2 फीसदी थी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की केंद्रीय योजना आयोग के साथ जुलाई 2012 में 12 वीं पंचवर्षीय योजना 2012-17 का ले-आउट तय करने के लिए हुई बैठक में सूबे के तेजी से विकास के लिए कई कसौटियां तय की गई थीं।
मसलन, सूबे की समग्र विकास दर को पांच वर्ष में 6.2 फीसदी से बढ़ाकर 8.5 फीसदी करना, कृषि की विकास दर को 3.1 फीसदी से 4.9 प्रतिशत, औद्योगिक विकास दर को 4.3 प्रतिशत से 7.1 प्रतिशत और सर्विस सेक्टर की विकास दर को 8.4 फीसदी से बढ़ाकर 10.9 फीसदी तक ले जाना तय किया गया।
हालांकि सरकार कृषि व इंडस्ट्री सेक्टर में इस कसौटी से भटकती नजर आ रही है। पिछले तीन बजट के नतीजों के जो संकेत सामने आए हैं, उससे यह लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं रह गया है।
हाल ही प्रदेश सरकार के अर्थ एवं संख्या प्रभाग ने वर्ष 2014-15 के लिए जो आंकड़े जारी किए हैं, उनमें सूबे की विकास दर 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
वहीं, राज्य की आय में कृषि एवं पशुपालन सेक्टर की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत, इंडस्ट्री की वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत और सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।