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बजट सत्र पर नजरें लगाए बैठे हैं देशवासीः पीएम

नई दिल्ली। संसद भवन में बजट सत्र के मद्देनजर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई है। संसद का बजट सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है। मोदी सरकार का यह पहला पूर्ण बजट है। यह माना जा रहा है कि मोदी सरकार का यह पहला पूर्ण बजट सबसे ज्यादा हंगामे से भरा हो सकता है। मोदी सरकार को भी इस बात का अंदेशा है। इसलिए संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने बजट सत्र शुरू होने से एक दिन पहले संसद के दोनों सदनों के विभिन्न दलों के नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलायी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट सत्र को सुचारू रूप से चलाना सभी पार्टियों की जिम्मेदारी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं सभी पार्टियों को विश्वास दिलाता हूं कि जो कोई भी मुद्दे उठाए जाएंगे, उन पर संसद में बहस की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘देशवासी बजट सत्र की ओर आशाओं और आकांक्षाओं के साथ देख रहे हैं। बज से लोगों को ढेरों उम्मीदें हैं। ऐसे में ये हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि बजट सच का सुचारू रूप से चलाएं।’

बैठक खत्म होने के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, ‘हम पूरी तरह से सरकार और प्रधानमंत्री के साथ हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि दोनों सदनों में सभी विषयों पर चर्चा होगी।’

वेंकैया नायडू ने बताया, ‘बैठक में 42 नेताओं ने अपने विचार रखे। आप कह सकते हैं कि लगभग सभी पार्टियों के नेताओं ने बैठक में अपनी बात रखी है। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट सत्र की ओर पूरा देश आशाओं के साथ देख रहा है, क्योंकि वह महसूस करते हैं कि यह बहुत महत्वपूर्ण है।’

वेंकैया नायडू ने बताया कि उन्होंने आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की थी। उन्होंने बताया, ‘मैंने सोनिया गांधी से कहा कि बजट सत्र सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें। विपक्ष को किसी भी फैसले पर आपत्ति जाहिर करने का पूरा अधिकार है। इस उन्होंने कहा कि वह बजट सत्र को ठीक ढंग से चलाने में पूरा सहयोग करेंगी।’

संसद का पिछला सत्र जिस तरह घरवापसी और बेतुके बयानों के चलते हंगामे का शिकार हो गया था उसे देखते हुए यह संभावना आधारहीन नहीं है कि इस बार भी संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने में मुश्किल आ सकती है। बजट सत्र एक ऐसे समय शुरू हो रहा है जब दिल्ली चुनाव नतीजों के कारण यह धारणा बनी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक चमक में कुछ कमी आई है।

मोदी सरकार ने पिछले साल मई में सत्ता में आने के बाद एक अंतरिम बजट पेश किया था। तब से लेकर अब तक जनता की उम्मीदें सरकार से बढ़ी ही हैं। ऐसे में सभी की निगाहें बजट सत्र पर टिकी हुई हैं। ऐसे में अगर संसद में विपक्ष हंगामा करता है, तो मोदी सरकार को अपनी बात रखने में काफी मुश्किल हो सकती है। कांग्रेस ने यह संकेत दे दिया है कि मोदी सरकार उससे मदद की उम्मीद न करे। इन स्थितियों में यह आवश्यक है कि सरकार विपक्षी दलों से मिलकर बजट सत्र को सुचारु रूप से चलाने की कोई राह निकाले।

 

NCR Khabar News Desk

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