राजेश बैरागी l हथियारों के लाइसेंस नवीनीकरण के लिए विधायक से भी एक लिपिक रिश्वत वसूल ले और विधायक भी सत्तारूढ़ पार्टी का हो तो क्या हो? मुझे लगता है कि बिना चुल्लू भर पानी के भी डूबकर मरा जा सकता है।
यह कोई घटना, दुर्घटना या भ्रम की स्थिति नहीं है। भ्रष्टाचार मुक्त-ईमानदार सरकार के गगनचुंबी दावों और वास्तविकता की बौनी दीवार के बीच का प्रलाप है।

बुलंदशहर सदर के भाजपा विधायक प्रदीप चौधरी ने अपने व भाई के लाइसेंसी हथियारों के नवीनीकरण के लिए गाजियाबाद के असलहा बाबू को रिश्वत देने का दावा किया है। हालांकि यह रिश्वत उन्होंने दी नहीं बल्कि उनसे वसूली गई। यह बात बीते अप्रैल माह की बताई गई है। माननीय विधायक ने अपने साथ हुए इस प्रशासनिक बलात्कार की शिकायत गाजियाबाद के जिलाधिकारी से की है। जिलाधिकारी ने जांच का काम मुख्य विकास अधिकारी को दिया है। इस बात को भी दो महीने होने जा रहे हैं। गाजियाबाद के असलाह बाबू को इस शिकायत से कोई अंतर नहीं पड़ा है।
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— Business with NCRKhabar (@bizNCRKhabar) June 12, 2023
विधायक से रिश्वत वसूल लेने वाले बाबू को अंतर पड़ना भी क्यों चाहिए। अंतर तो पड़ना चाहिए था विधायक और योगी सरकार को। विधायक ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से क्यों नहीं की?वे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, सतर्कता विभाग, विधानसभा अध्यक्ष जैसे पटल पर भी अपनी शिकायत कर सकते थे।वे बाबू का मुंह काला कर पूरे कलेक्ट्रेट परिसर में घुमा सकते थे और तभी के तभी उसे निलंबित करा सकते थे। विधायक ने यह सब क्यों नहीं किया?यह प्रश्न विधायक की शिकायत को अविश्वसनीय बनाते हैं। तो भी एक विधायक की ऐसी शिकायत को हल्के में क्यों लेना चाहिए? जनता हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण के शोर से उबरकर इस पर विचार तो कर ही सकती है।