
देश में विकास की बात हो रही है। देश को आगे ले जाने के लिए आधुनिक तकनीक अपनाने की बात हो रही है। फिर किस देकर प्यार जताने वालों के ऊपर परंपरा व संस्कृति का हवाला देकर हमारे साथ मारपीट क्यों की जा रही है।
हमें आजादी चाहिए, घूमने-फिरने की, पहनने-खाने की। फिर चाहे खुलकर चूमने की आजादी ही क्यों ना हो। ये कहना है कि दिल्ली के युवाओं का। जो किस ऑफ लव के लिए फेसबुक पेज पर मिले बुलावे में शामिल होने के लिए बिना किसी बैनर के सैकड़ों की संख्या में एकत्रित हुए।
बिना किसी संगठन, बैनर के सोशल मीडिया पर मिले बुलावे में पहुंचे छात्रों में किस ऑफ लव के लिए जबरदस्त जोश देखने को मिला
प्रदर्शनकारी खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों, इस दुनिया से नहीं डरेंगे हम दोनों, प्यार किया तो डरना क्या प्यार किया कोई चोरी नहीं की……जैसे गानों को पूरे जोश के साथ गाकर किस ऑफ लव का समर्थन कर रहे थे।
युवाओं का कहना है कि क्या हम किसी को प्यार से चूम भी नहीं सकते। यह हमारा अधिकार है कि हम किसी को गले लगाकर प्यार जताते है या किस करके। वहां पहुंच कई लोगों ने एक दूसरे को किस करके भी अपना प्यार जताया।
वहां हिंदू सेना के विरोध के बाद भी अपने दोस्तों को किस करके अपनी आजादी की मांग की। युवाओं का कहना है कि वह हमें मोरल लेक्चर ना सुनाएं। हमें आजादी से जीने दिया जाए। परंपरा संस्कृति का ठेका लेकर प्यार करने वालों के ऊपर डंडे ना बरसाएं जाएं। युवाओं का सड़कों पर जोश देखने लायक था।
डीयू स्टूडेंट की छात्रा ईशिता ने कहा कि परंपरा, संस्कृति के नाम पर किसी को समाज का ठेकेदार बनने की जरूरत नहीं है। हम आजाद देश में है सभी को अपना प्यार दिखाने व किसी भी तरह से जताने का अधिकार है। उस पर किसी की रोकटोक नहीं सहेंगे। यह छोटी सोच को दिखाता है।
उसके साथ मौजूद दीप्ति ने कहा कि हमें चूमने की आजादी चाहिए। देश में विकास की बात हो रही है। तकनीकी में हम तेजी से बढ़ रहे है। आजाद देश में रहते है। फिर हमें किस करने से क्यों रोका जा रहा है? आप किसी के दिल व भावनाओं पर ताला नहीं लगा सकते है। हमें प्यार में किस करने, किसी को गले लगाने की आजादी चाहिए।
स्टूडेंट जेएनयू सुमितरन बासु का कहना है कि अपनी सोच को आप दूसरे पर कैसे थोप सकते हैं। जब हमें खाने, घूमने की आजादी है तो आप क्यों किसी को प्यार में किस करने पर उसकी पिटाई करते है। वहां भी उसे आजादी से अपने प्यार को जताने का हक है। फिर वह किस देकर ही क्यों न हो?
हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने कहा कि यह हमारे देश की परंपरा नहीं है। यह अंग्रेजों के चोंचले हैं। इससे हम अपनी संस्कृति व परंपरा को मैला नहीं होने देंगे। जो किस ऑफ लव जैसी बात कर रहे हैं वह असल में कामसूत्र के बारे में ठीक से नहीं जानते।
हम सड़कों पर प्यार जताने के लिए किस कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसे चंद लोगों के कारण समाज बिगड़ रहा है। हम इसका विरोध कर रहे हैं आगे भी करते रहेंगे। यह किसी भी हालात में मानने वाली बात नहीं है। यह समाज को गंदा कर रहे हैं।