सार्क सम्मेलन विफल होता नजर आ रहा है। भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे को लेकर विरोधी रवैया अपनाए हुए हैं। इस वजह से तीन अहम प्रस्ताव खटाई में पड़ गए हैं।
बुधवार को तीन अहम समझौतों पर कोई सहमति नहीं हो पाई क्योंकि पाकिस्तान ने उन पर आपत्ति जता दी। इनमें मोटर वीइकल ऐक्ट भी शामिल है। पाकिस्तान ने कहा कि उसने अभी अपनी अंदरूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की है। भारत और श्रीलंका दोनों ही इस प्रस्ताव का बहुत मजबूती से समर्थन कर रहे थे।
इस समझौते का प्रस्ताव भारत ने पेश किया था, इसलिए उसके खेमे में पाकिस्तान के कदम से निराश हुई। वैसे, सूत्र बताते हैं कि भारत ने बाकी देशों के साथ द्विपक्षीय स्तर पर यह समझौता करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
वैसे, भारत ने भी सार्क में ऑब्जर्वर के तौर पर शामिल चीन को स्थायी सदस्य बनाने की पाकिस्तान की कोशिशों पर भी टंगड़ी लगा दी है। नवाज ने भी अपने भाषण में भी चीन को सार्क में शामिल करने की पैरवी की। शरीफ ने कहा कि पर्यवेक्षकों की सक्रिय भूमिका से इस तरह के संवाद से सार्क समूह को मदद मिलेगी।
चीन एक पर्यवेक्षक देश के तौर पर सार्क से 2005 में जुड़ा है। तब ढाका शिखर सम्मेलन में चीन ऑब्जर्बर बना था और उसको पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश का सपोर्ट हासिल था, जबकि इंडिया, भूटान, अफगानिस्तान और मालदीव ने उसका विरोध किया था।
भारत नहीं चाहता कि चीन को सार्क का सदस्य बनाया जाए, क्योंकि उसे आशंका है कि वह इसका इस्तेमाल क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए करेगा। चीनी पूर्ण सदस्य न बनने की स्थिति में सार्क प्लस वन देश या फिर सार्क में डायलॉग पार्टनर की भूमिका के लिए दबाव डालता रहा है।