नरेंद्र मोदी ने 1987 में जशोदाबेन को तलाक देने का फैसला किया था, लेकिन वह तैयार नहीं हुई। जशोदाबेन के भाई अशोक मोदी ने ये जानकारी अंग्रेजी दैनिक टेलीग्राफ से हुई बातचीत में दी।
अशोक मोदी ने बताया कि 1987 में नरेंद्र मोदी ने अपने बड़े भाई सोमाभाई मोदी के साथ जशोदाबेन से मुलाकात की। उन्होंने आपसी सहमति से तलाक लेने का प्रस्ताव जशोदाबेन के सामने रखा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
मोदी उस समय भाजपा नेता के रूप में गुजरात में अपनी पहचान बना चुके थे। उसके अगले वर्ष ही उन्हें गुजरात भाजपा इकाई का संगठन सचिव नियुक्त किया गया। उल्लेखनीय है कि जशोदाबेन से अलग होने के बाद मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। संघ ने 1985 में उन्हें भाजपा में भेज दिया।अशोक मोदी ने बताया कि अलग होने के बाद भी मोदी ने जब जशोदाबेन के सामने तलाक का प्रस्ताव रखा, तब उन्होंने कहा था कि वह उन्हें तलाक नहीं दे सकती। अगर मोदी की इच्छा हो तो वे तलाक लेलें। जशोदाबेन ने कहा था कि वे अपने पति (मोदी) का इंतजार करती रहेंगी।
अशोक ने बताया कि उनकी बहन ने कभी भी मोदी के लिए परेशानी नहीं खड़ी की। अब भी मोदी अगर लेने आए तो ही वह जाएंगी। उल्लेखनीय है कि जशोदाबेन पिछले सप्ताह एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर मोदी उन्हें एक बार बुला लें तो वे दिल्ली आने के लिए तैयार हैं।
हालांकि जशोदाबेन का बयान सामने आने के बाद मोदी के बड़े भाई सोमाभाई मोदी ने कहा था कि ये नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब न वे और न उनकी मां गांधीनगर स्थित उनके आवास पर गए तो अब दिल्ली कैसे जाया जा सकता है।जशोदाबेन ने सोमवार को सूचना के अधिकार के तहत प्रधानमंत्री की पत्नी के रूप में अपने अधिकारों की जानकारी मांगी थी। उन्होंने मेहषाणा जिले के पुलिस अधिक्षक को अर्जी दी थी और पूछा था कि प्रधानमंत्री की पत्नी होने के नाते उन्हें क्या-क्या सहूलियतें मिल सकती हैं।
उन्होंने अपनी सुरक्षा में लगाए गए जवानों की तैनाती के आदेश की प्रति भी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही सुरक्षा गार्ड्स ने कर दी। मुझे किसके आदेश पर गार्ड दिए गए हैं, ये बताया जाए।
वहीं, कांग्रेस नेता डॉ शकील अहमद ने मंगलवार को चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की पत्नी को भी आरटीआई कानून की जरूरत पड़ गई, ये हमारे लिए संतोष की बात है। आरटीआई का कानून कांग्रेस ने ही लाया था