main newsएनसीआरकारोबारदिल्ली

डीजल, पेट्रोल के दाम हो सकते हैं कम

बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियां इस बात का संकेत दे रही हैं कि वाकई में भारत के अच्छे दिन बहुत ही करीब हैं। भारत के लोगों के लिए बहुत ही खुश होने की बात है कि ओपेक राष्ट्रों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने से मना कर दिया जिससे डीजल और पेट्रोल की कीमत कम होने का रास्ता अब साफ हो गया है।

ब्रेंट क्रुड (कच्च तेल) की कीमत 4 साल में पहली बार सबसे तेज गिरावट के साथ 76.30 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) में गल्फ प्रडयूसरों, सऊदी अरब, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात की गुरुवार को ऑस्ट्रिया में संपन्न ऑफिशल मीटिंग के दौरान उत्पादन कटौती का प्रस्ताव पेश नहीं किया गया। इस तरह से उन लोगों ने पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की कीमतों में उछाल की संभावना को कम कर दिया है। गौरतलब है कि जून से तेल के मूल्य में भारी गिरावट आई है।

गुरुवार को फिलिप कैपिटल कंपनी के सिंगापुर के रहने वाले डैनियल आंग ने कहा था, ‘पूर्व ओपक मीटिंग भावनाओं के साथ ही तेल मूल्य वृद्धि का सपना चकनाचूर हो गया है। तेल के गिरे हुए मूल्य आपका इंतेजार कर रहे हैं।’

इससे पहले ही कुछ ऐनालिस्टों ने अपने विचार प्रकट किए थे कि यदि ओपक भारी आउटपुट कट के लिए राजी नहीं हुए तो तेल मूल्य को 60 डॉलर प्रति बैरल हो जाने की संभावना है।

oma-adब्रेंट क्रुड के मूल्य में गुरुवार को 1 डॉलर की कमी के साथ तेल का मूल्य सितंबर 2010 के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंचकर 76.28 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। अमेरिकी कच्चे तेल में भी 1 डॉलर की गिरावट देखी गई है जो अब 72.61 डॉलर प्रति बैरल है।

बढ़ते हुए चीनी और अमेरिकी तेल स्टॉकों से उपलब्ध सप्लाई में इजाफा देखा गया है इससे कच्चे तेल के मूल्य पर दबाव बढ़ा है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार, संयुक्त राज्य में क्रुड इन्वेंटरी 21 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 1.9 मिलियन करीब 19 लाख बैरल हो गया है जबकि ऐनालिस्टों ने 4,67,000 के इजाफे की संभावना जताई थी।

घरेलू तेल जगत सूत्रों का कहना है कि यदि वर्तमान की तरह ही कच्चे तेल के मूल्य में वैश्विक स्तर पर गिरावट जारी रही तो भारत में पेट्रोल का मूल्य कम होकर अगले एक सप्ताह में 60 रुपए प्रति लीटर हो सकता है।

तेल की कीमत कम होने से सरकार को मुद्रास्फीति पर काबू पाने में सहायता मिलेगी। इसके साथ ही देश की इकॉनमी भी स्थिर होगी। भारत दुनिया का चौथा सर्वाधिक ऑयल कंज्यूमर देश है। यहां हर साल 145 बिलियन डॉलर यानी करीब 9000 अरब रुपए का कीरब 190 मिलियन टन कच्चा तेल इंपोर्ट किया जाता है। तेल की कीमत में कमी होने से सरकार को 4,000 करोड़ रुपए की बचत होगी।

NCR Khabar News Desk

एनसीआर खबर.कॉम दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित और नं.1 हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews@ncrkhabar.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं

Related Articles

Back to top button