
रविवार की सुबह जब पीएम नरेंद्र मोदी विज्ञान भवन से भाषण दे रहे थे, तब पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनके साथ मंच साझा करते हुए आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत योजना दी थी।
लेकिन उसके सात घंटे बाद ही ऐसा क्या हुआ कि उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाकर एक कम महत्व वाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय सौंप दिया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय में उनकी जगह जेपी नड्डा ने ली है।
गौरतलब है कि नड्डा का नाम, स्वास्थ्य मंत्रालय में डॉ. हर्षवर्धन के पहले विवाद से जुड़ा हुआ है। यह वही विवाद है जिसमें एम्स के सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को नड्डा की तरफ से हर्षवर्धन को लिखे पत्र के बाद हटा दिया गया था।
हर्षवर्धन को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाने के पीछे एक कयास ये भी लगाया जा रहा है कि वे दिल्ली की सियासत में वापसी कर सकते हैं और उन्हें बीजेपी दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकती है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि डॉ. हर्षवर्धन की वापसी दिल्ली में हो सकती है और वह दिल्ली चुनावों में अहम भूमिका निभा सकते हैं। दिल्ली में उनकी छवि काफी साफ-सुथरे नेता की रही है और यही वजह है कि भाजपा दिल्ली चुनाव में उनकी छवि को भुनाने की कोशिश कर सकती है।
पिछली दफा डॉ. हर्षवर्धन के कारण ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक बड़ी जीत हासिल हुई थी और वह सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के रूप में उभरकर आई थी।
यही कारण हो सकता है कि उन्हें कम महत्व का मंत्रालय दिया गया है ताकि वह अपना ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिल्ली में होने वाले चुनाव पर दे सकें। इस तरह अगर भाजपा बहुमत में आती है तो उन्हें दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार हर्षवर्धन को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाने की एक बड़ी वजह है उनकी तंबाकू के खिलाफ मुहिम। कहा जा रहा है कि वह तंबाकू के खिलाफ जोर-शोर से काम कर रहे थे, जिससे सरकार का एक तबका खुश नहीं था।
सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय में रहते हुए तंबाकू लॉबी के खिलाफ काम करना हमेशा से ही मुश्किलों भरा रहा है। ऐसी ही अफवाहें तब भी उड़ी थीं जब यूपीए सरकार के दौरान इसी साल फरवरी में स्वास्थ्य सचिव केशव देसीराजू को उनके पद से हटाया गया था।
हर्षवर्धन के मामले यह बात और भी उलझी हुई है क्योंकि वह तंबाकू के खिलाफ काम कर रहे थे और तंबाकू का उत्पादन करने वाली मुख्य जगहें गुजरात के आनंद और खेड़ा में हैं।
हालांकि तंबाकू के खिलाफ पिछले कुछ हफ्तों उन्होंने बोलना कम कर दिया था। लेकिन इस संभावना से बिल्कुल इंकार नहीं किया जा सकता कि तंबाकू के खिलाफ खड़े होना उनके स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाए जाने की एक बड़ी वजह है।