नई दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ से उपजा गतिरोध बरकरार है। बीते एक हफ्ते से लद्दाख के चुमार इलाके में जमे चीनी सैनिकों ने अपने तंबू नहीं हटाए हैं। दूसरी तरफ, भारतीय सेना ने भी मोर्चा बांध रखा है। हालात से निपटने के लिए सेना ने अपने 14वें कोर को अतिरिक्त तैयारियां मुकम्मल करने को कहा है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार, सैटेलाइट व ड्रोन कैमरों के जरिये चुमार क्षेत्र की कड़ी निगरानी रखी जा रही है। चीनी सैनिकों की हर हरकत पर नजर रखने के इंतजाम किए गए हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा के हालात का नई दिल्ली में भी लगातार जायजा लिया जा रहा है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के किसी बड़े जमावड़े या बड़ी सैन्य तैयारी के फिलहाल कोई निशान नहीं मिले हैं।
इस बीच सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने अपना चार दिनी भूटान दौरा निरस्त कर दिया है। सेनाध्यक्ष को 22-25 सितंबर को सरकारी दौरे पर भूटान जाना था। सेना मुख्यालय सूत्रों ने सेनाध्यक्ष का विदेश यात्रा कार्यक्रम रद होने की तस्दीक की है। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने जनरल सिंह की यात्रा रद किए जाने के कारणों पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस बीच, गतिरोध पर चुप्पी तोड़ते हुए पहली बार अपनी प्रतिक्रिया में चीन की सेना ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों देशों की धारणा अलग-अलग है। हालांकि, दोनों देश बातचीत के जरिये सीमा विवाद का समाधान कर सकते हैं। चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने आज कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद हमें विरासत में मिला है। दोनों देशों के बीच सीमा का अबतक निर्धारण न होने से इसको लेकर दोनों पक्षों के विचारों में अंतर है। चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ संयुक्त वक्तव्य का हवाला देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि सीमा पर शांति कायम रखने के लिए दोनों देश प्रयास करते रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान भी लद्दाख इलाके में चीनी सेना ने भारतीय हद लांघने का सिलसिला जारी रखा। बीते डेढ़ साल के भीतर यह दूसरा मौका है जब सीमा पर चीन की सेना ने भारतीय हद लांघ अपने तंबू गाड़े हैं। इससे पहले अप्रैल 2013 में दिपसांग इलाके में 21 दिनों तक चीनी सैनिक तंबू गाड़कर जमे रहे थे। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच चार हजार किमी से अधिक की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा का निर्धारण होना बाकी है।