नई दिल्ली। अब एक हजार करोड़ रुपये तक की सड़क परियोजनाओं के लिए कैबिनेट की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। इन्हें सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय खुद ही मंजूरी देगा। राजमार्ग मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बजट के संदर्भ में इस बात के संकेत दिए।
इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को रफ्तार देने के लिए सरकार ने सड़क, जहाजरानी, रेल, नागरिक उड्डयन और ऊर्जा मंत्रालय के मंत्रियों की एक समिति बनाई है। इसकी अध्यक्षता सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री करेंगे। यह समिति हर महीने बैठक कर इन क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं की समीक्षा कर उनके रास्ते में आने वाली रुकावटों को दूर करने के उपाय करेगी। इन परियोजनाओं को मंजूरी के लिए अब योजना आयोग के दरवाजे पर दस्तक देने की जरूरत नहीं होगी। राजमार्ग मंत्रालय से परामर्श कर वित्त मंत्रालय इनके लिए सीधे धन का आवंटन करेगा।
संप्रग सरकार में पहले योजना आयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की समीक्षा करता था। वही धन आवंटन की सिफारिश करता था, जिसके आधार पर वित्त मंत्रालय की ओर से धन का आवंटन होता था। इस व्यवस्था में अक्सर परियोजनाएं लंबे अरसे अटकी रहती थीं। राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्तावों पर योजना आयोग कोई न कोई अड़ंगा लगा देता था। योजना आयोग के इस रवैये पर टीआर बालू, कमलनाथ से लेकर डॉ. सीपी जोशी तक ने राजमार्ग मंत्री के तौर पर सवाल उठाए थे। कमलनाथ ने तो उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की मौजूदगी में सार्वजनिक मंच पर कह दिया था कि योजना आयोग को पता ही नहीं है कि सड़कें कैसे बनती हैं। उसे जमीनी हकीकत का कोई ज्ञान नहीं है। यही वजह है कि मोदी सरकार ने योजना आयोग को बीच से हटाने का निर्णय लिया है।
एनएचएआइ होगा मजबूत
सड़क निर्माण कार्यक्रम को नई रफ्तार देने के लिए सरकार नेशनल हाईवे अथॉरिटी [एनएचएआइ] को मजबूत करेगी। बजट में अधिक आवंटन के जरिए इसकी शुरुआत कर दी गई है। चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय सड़क निधि से 26,152 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। इसमें 9,566 करोड़ का इस्तेमाल एनएचएआइ में निवेश के लिए होगा। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण के लिए 5,207 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है, जिसमें 4,500 करोड़ रुपये सड़क निधि से प्राप्त होंगे। इसके अतिरिक्त सड़क निधि से 7,653 करोड़ ग्रामीण सड़कों, 2607 करोड़ राज्य राजमार्गो तथा 328 करोड़ रुपये आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कों के लिए दिए जाएंगे। निधि से रेलवे को ओवरब्रिज की मद में 1496 करोड़ रुपये की राशि हासिल होगी।