नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले आम बजट में बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा में वृद्धि का फार्मा इंडस्ट्री ने स्वागत किया है। इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार सरकार के इस फैसले से रोगियों के साथ-साथ फार्मा उद्योग को भी फायदा पहुंचेगा।
कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी इंडिया लीडर (फार्मा और लाइफ साइंसेज) सुजय शेट्टी के अनुसार बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 49 फीसद करने से रोगियों और फार्मा इंडस्ट्री दोनों को ही फायदा होगा। नि:शुल्क दवा और नि:शुल्क रोग के निदान की घोषणा इस क्षेत्र के लिए उम्मीद की किरण है।
पूंजी की कमी से जूझ रहीं निजी बीमा क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज पेश बजट में इसकी सीमा 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद करने की घोषणा की। जेटली ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार पर विशेष जोर देते हुए सरकार के स्वास्थ्य मिशन के तहत नि:शुल्क औषधि सेवा और नि:शुल्क निदान सेवा प्राथमिकता के आधार पर शुरू करने की घोषणा की। साथ ही ग्रामीण भारत में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राज्यों में 15 मॉडल ग्रामीण स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया।
पीडब्ल्यूसी इंडिया लीडर (हेल्थकेयर) राणा मेहता ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं का पूरे देश में विस्तार के लिए बजट में प्रावधान एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि ब्रॉडबैंड के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में योग्य डॉक्टरों के मदद से टेलीमेडिसन की पहुंच बढ़ाना और हेल्थ बीमा में एफडीआई की सीमा बढ़ाने से स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा काफी बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि 4 अतिरिक्त अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने से मेडिकल एजुकेशन का स्तर बढ़ेगा और ये देश में एक लाख डॉक्टरों की कमी को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे दिल्ली स्थित एम्स में आने वाले रोगियों को भी सीधा लाभ होगा।
केपीएमजी इंडिया के पार्टनर और हेल्थकेयर प्रेटिक्स के प्रमुख अमित के अनुसार राष्ट्रीय स्किलिंग कार्यक्रम के तहत कौशल को बढ़ाने की कोशिश एक सराहनीय कदम है।