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चुनावी राज्यों के लिए बिछाई सियासी पटरी

09_07_2014-09indrailनई दिल्ली, नरेंद्र मोदी सरकार का पहला रेल बजट यूं तो रेलवे में निजीकरण को बढ़ावा देने जैसे बड़े फैसलों के लिए पहचाना जाएगा, लेकिन रेल मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा चुनावी राज्यों में भी सियासी पटरी बिछाने से नहीं चूके। इसी साल विधानसभा चुनाव में जाने वाले राज्यों महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ-साथ भाजपा की सियासी रचना के लिहाज से अहम बिहार व उत्तर प्रदेश पर नजरे इनायत की गई है।

दक्षिण भारत में नए बने राज्य तेलंगाना और विभाजन के बाद बचे आंध्र प्रदेश का भी विशेष ध्यान रखा गया है। महाराष्ट्र में अब तक भाजपा सिर्फ एक बार ही सत्ता में आ सकी है। हालांकि, इस दफा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उसका आत्मबल खासा बढ़ा हुआ है। महाराष्ट्र में अपनी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए मुंबई और उसके बाहरी क्षेत्रों को जोड़ने वाली मुंबई लोकल ट्रेनों पर मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। मुंबई को दो साल के अंदर 864 अतिरिक्त ट्रेनें दी जाएंगी। बिजली से चलने वाली ये ट्रेनें सबसे आधुनिक होंगी।

मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनों में सुविधा के साथ-साथ समय बचाने पर भी रेल मंत्री ने खासा जोर दिया। मुंबई उपनगरीय रेलवे में 1500 वोल्ट डीसी को 25 केवी एसी लाइन में बदला जाएगा। इससे जहां ट्रेन चलाने की लागत कम होगी, वहीं समय भी बचेगा। इसके अलावा महाराष्ट्र को एक प्रीमियम, दो जनसाधारण, दो एसी एक्सप्रेस और चार एक्सप्रेस ट्रेन मिली हैं। पहली बुलेट ट्रेन भी मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलाने का एलान हुआ है।

दिल्ली के नजदीकी राज्य हरियाणा को रेलवे संपर्क की बहुत ज्यादा समस्या नहीं है, लेकिन उसकी भी जरूरतों का पूरा ख्याल रखा गया है। खासतौर से स्थानीय रेल संपर्क पर ज्यादा ध्यान दिया है। इसी कड़ी में जींद-हिसार, हिसार-नरवाना के लिए दो नई लाइनें बिछाने का एलान किया गया है। रेवाड़ी-बीकानेर पैसेंजर के रूप में नई ट्रेन की घोषणा की गई है। वहीं, रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ लाइन के दोहरीकरण जैसे एलान भी हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश की जरूरतों पर भी रेल मंत्री का करम हुआ है।

घोषित कुल पांच जनसाधारण ट्रेन में से चार बिहार के लिए हैं। इनमें अहमदाबाद-दरभंगा, जयनगर-मुंबई, सहरसा-आनंद बिहार और सहरसा-अमृतसर हैं, तो एक मुंबई-गोरखपुर उत्तर प्रदेश को मिली है। इसके अलावा एक्सप्रेस गाड़ियों में भी आधा दर्जन गाड़ियां इन दोनों राज्यों के हिस्से में आई हैं। नए सर्वेक्षणों और लाइनों के दोहरीकरण में भी दोनों राज्यों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। कर्नाटक के साथ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी रेलवे विस्तार की कोशिश की गई है।

NCR Khabar News Desk

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