रेल किरायों में 14.2 फीसदी की बढोतरी कर मोदी सरकार चौतरफा घिर गई है। महंगाई नियंत्रित न कर पाने के कारण मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में यूपीए सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
कड़वी डोज और कड़े फैसलों के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी महंगाई को नए पैकेट में जनता के सामने रख दिया है। यूपीए सरकार के 10 वर्षो के कार्यकाल में यात्री किराये में मामूली बढ़ोतरी की गई।
मोदी सरकार ने उस नजीर को नजरअंदाज कर एक ही झटके में 14.2 फीसदी की बढोतरी कर डाली। भारतीय रेलवे के इतिहास में ये अब तक की सबसे बड़ी बढोतरी है।
जुलाई के दूसरे सप्ताह में बजट सत्र शुरू हो रहा है। उसी सत्र में रेल बजट भी पेश होना है। रेल भाड़ों में बढोतरी संसद के बजट सत्र से ठीक पहले की गई। किराया बढ़ाने की जल्दबाजी में नरेंद्र मोदी अपनी ही पुरानी नसीहत भूल गए।
2012 में यूपीए सरकार ने रेल सत्र के चंद दिनों पहले की रेल माल भाड़े में बढोतरी की थी। उन दिनों नरेंद्र मोदी ने बतौर गुजरात मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था। उन्हें खुद ही ट्विटर पर उस बात की जानकारी दी थी।
मोदी ने ट्विटर पर कहा था कि रेल बजट के ठीक पहले यूपीए सरकार ने संसद की अनदेखी करके माल भाड़े में बढोतरी की है। मैनें प्रधानमंत्री को विरोध में पत्र लिखा है।
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी का ये पुराना ट्वीट पढ़कर सुनाया।
मोदी की नसीहत याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सात मार्च 2012 को यूपीए सरकार के समय हुए रेल किराये में वृद्घि का विरोध करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा था। लेकिन मोदी सरकार खुदी ही वही काम किया है।
कांग्रेस महसचिव अजय माकन ने मंहगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अभी सरकार को 30 दिन भी नहीं हुए कि देश को इस मुश्किल की घड़ी में जनता पर बोझ लाद दिया गया है।