नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लचर रवैये के चलते ही नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल का अभ्युदय हुआ। अगर वह भ्रष्टाचार से निपटने के लिए गंभीर होते तो शायद सरकार गिर जाती। कारण द्रमुक और शरद पवार जैसे सहयोगियों के कारण बहुत कुछ दांव पर था। सिंह के मीडिया सलाहकार रहे वरिष्ठ पत्रकार संजय बारू ने यह बात अपनी किताब ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ पर चर्चा के दौरान गुरुवार को कही।
उन्होंने कहा कि सिंह का मानना था कि लोग उन्हें ईमानदार व्यक्ति के तौर पर देखते हैं और आरोप अन्य व्यक्तियों पर थे। इसमें वह क्या कर सकते हैं? बारू के मुताबिक अगर वह संप्रग 2 कार्यकाल से सफल होते तो कोई अरविंद केजरीवाल नहीं उभरता।
मोदी की सफलता का कारण मनमोहन! क्या उन्हें लगता है कि मोदी की राजनीतिक सफलता का कारण मनमोहन सिंह हैं? इस सवाल के जवाब में बारू ने कहा कि मेरा निश्चित रूप से मानना है कि मोदी के उदय का कारण सरकार का पराभव है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा था कि भारत में जो कुछ हो रहा है वह भौतिकी का सिद्धांत है यानी खालीपन बना और हम उसे भर रहे हैं। मुझे लगता है कि इससे कोई असहमत नहीं होगा। वर्ष 2004-08 तक संप्रग एक के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत रहे बारू ने कहा कि पिछले साल सितंबर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दागी व्यक्तियों के चुनाव लड़ने संबंधी अध्यादेश को बकवास बताने के बाद अगर सिंह ने पद छोड़ दिया होता तो संप्रग सरकार गिर जाती।
एक विशेषज्ञ जो राहुल के करीबी हैं उन्होंने एक अखबार में लिखे लेख में सुझाव दिया था कि सिंह को पद छोड़ देना चाहिए और उनकी जगह राहुल को कमान संभालनी चाहिए। बारू ने उम्मीद जताई कि कुछ दिन में सिंह अपनी आत्मकथा लिखेंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार के दैनिक कामकाज में दखलंदाजी होती थी? बारू ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं था, मेरे ख्याल से वह व्यवस्था ही ऐसी थी। कई मामलों पर उनके विचारों को स्वीकार नहीं किया जाता था। एलपीजी सब्सिडी इसका बेहतर उदाहरण है। सिंह चाहते थे कि यह लागू हो पर पार्टी इससे सहमत नहीं थी। यहां तक कि पी चिदंबरम भी इससे असहमत थे। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के साथ संबंधों पर पूछे जाने पर बारू ने कहा कि सिंह ने इसे राजनीतिक आवश्यकता के तौर पर स्वीकार किया था। गौरतलब है कि मनमोहन सरकार की दिशा तय करने के लिए बनी इस परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। यह पद केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के दर्जे के बराबर है।