लोकसभा के महासंग्राम में ऐतिहासिक जीत दिला कर भाजपा में अब नरेंद्र मोदी का युग शुरू हो गया है। अपने दम पर केंद्र में सरकार बनाने के भाजपा के सपने को साकार कर मोदी और राजनाथ सिंह की जोड़ी वास्तव में पार्टी को अटल-आडवाणी के युग से मीलों आगे ले आई है।
एक दशक बाद भाजपा को दिल्ली का तख्त दिलाने के बावजूद इस जोड़ी के लिए अभी पार्टी के भीतर ही कई बाधाएं पार करनी बाकी है।
भाजपा का ‘मिशन 272 प्लस’ पूरा हो जाने के बाद अब साफ हो गया है कि नई सरकार के साथ ही पार्टी में भी अब मोदी की ही चलने वाली है। हालांकि अभी उन्हें लालकृष्ण आडवाणी, डा. मुरली मनोहर जोशी जैसे बुजुर्ग नेताओं के साथ ही सुषमा स्वराज जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी संतुष्ठ करना होगा।
गुजरात से दिल्ली आने पर मोदी की यह सबसे बड़ी व पहली चुनौती होगी। क्योंकि पिछले दो-तीन दिनों से सुषमा जिस तरह से आंखें दिखा रही है, उससे साफ� हो गया है कि भाजपा में आंतरिक तौर पर सब कुछ ठीकठाक नहीं है।
पार्टी ने आठ महीने और तीन दिन पहले यानी बीते साल 13 सितंबर को मोदी को पार्टी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था और अब 16 मई को उन्होंने यह मुकाम हासिल भी कर लिया। इससे पहले बीते साल नौ जून को गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद ने मोदी को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपने का फैसला किया था।
इस सभी फैसलों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ ही राजनाथ सिंह की भी� बड़ी भूमिका रही है। हालांकि गुजरात में हैट्रिक बना चुके मोदी को नेतृत्व सौंपने को लेकर कार्यकर्ताओं का भारी दबाव भी था। ये फैसले भाजपा के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुए हैं।
मोदी के व्यक्तित्व और छवि ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया और कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद पूरी भाजपा मोदी के पीछे खड़ी होती गई। कांग्रेस और कुछ एनजीओ समेत कई संगठन जिस तरह से मोदी को निशाना बना रहे थे, उससे भी संघ परिवार एकजुट होता गया।
हालांकि लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज का खेमा अंत तक उनके साथ नहीं आया। इसके बावजूद चुनाव के दौरान पार्टी बाहरी तौर पर एकजुट दिखी।
जबकि 2009 के चुनाव में भाजपा के आंतरिक कलह सामने आती रही थी। बहरहाल, 2009 के चुनाव के दौरान भी पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ ही थे और तक पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था,लेकिन इस बार उन्होंने वह पुरानी कसक को दूर कर पार्टी को सत्ता में ला दिया है। इससे वे भी पार्टी में पहले से ज्यादा ताकतवर हो गये हैं।