मुख्तार अंसारी और अजय राय की दोस्ती से सभी भौचक हैं। बहुतों का ये ‘सौहार्द्र’ हजम नहीं हो रहा है। पूर्वांचल में कइयों की जुबान पर ये जुमला है- सियासत जो न करवा दे।
कौमी एकता दल का दावा है कि वाराणसी में कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय का समर्थन सांप्रदायिक शक्तियों को हराने के लिए किया गया है। उन्होंने समर्थन के एवज में किसी ‘डील’ से भी इनकार किया है। कौमी एकता दल अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने मंगलवार को कहा कि वाराणसी को बचाने के लिए आगे आना जरूरी था। कांग्रेस को समर्थन का मकसद यही है।
क्या कौएद का मकसद उतना ही जितना वह दावा कर रही है? कम से कम पूर्वांचल की राजनीति को करीब से देखने वाले तो ये नहीं मानते।
कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने मंगलवार को कहा था कि वाराणसी में सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए आगे आना जरूरी था। अजय राय और हमारे बीच जो भी है वो व्यक्तिगत है। इसका पार्टी और चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि ये दोस्ती वाराणसी तक ही सीमित रहने वाली नहीं है।
पूर्वांचल की दूसरी सीटों विशेषकर बलिया और घोसी में भी इसका प्रभाव दिखेगा। दरअसल कौमी एकता दल ने समर्थन के जरिए दिया कम और लिया ज्यादा है।