भाजपा का दामन थाम चुके सांसद सतपाल महाराज का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व को उनका हिंदुत्ववादी चेहरा पसंद नहीं आ रहा था। शायद यही कारण है कि हर स्तर पर उपेक्षा हो रही थी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में वे घुटन महसूस कर रहे थे। प्रदेश की हरीश रावत सरकार के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि वे कोई ज्योतिषी नहीं हैं कि भविष्यवाणी कर सकें कि सरकार कब तक चलेगी।
कट्टर कांग्रेसी माने जाने वाले महाराज का चुनावी जंग के दौरान नरेंद्र मोदी के साथ आने को लेकर उत्तराखंड भाजपा के नेताओं को भनक तक नहीं लगी।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान व गुजरात के उनके शिष्यों ने नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह के साथ महाराज की बात कराने में सूत्रधार की भूमिका निभाई। महाराज भले ही देशभर में एक धर्मगुरु के तौर पर जाने जाते हों, लेकिन उत्तराखंड खासतौर पर पौड़ी गढ़वाल में उनकी छवि दमदार ठाकुर नेता की है।
भाजपा का दामन थामने के बाद अमर उजाला से विशेष बातचीत में महाराज ने कहा कि कांग्रेस में वे अकेले धर्मगुरु थे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने शुरू से उनके साथ नाइंसाफी की। कांग्रेस को अलविदा करने के बाद उन्होंने खुलकर अपना दर्द सामने रखा। महाराज ने कहा कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के लायक भी नहीं समझा। जबकि सभी कुछ हरीश रावत को दे दिया। हरीश को प्रदेश अध्यक्ष, राज्यसभा, केंद्र में मंत्री और अब मुख्यमंत्री बना दिया। इसके अलावा स्पीकर और राज्यसभा भी उनके समर्थकों को दे दिया। जबकि उनके समर्थकों को लालबत्तियां भी नहीं दी गई।