अगर सार्वजनिक तौर पर बोलें तो कांग्रेस ने लोकपाल कार्ड जनहित में खेला है. अगर राजनैतिक तौर पर बोलें तो कांग्रेस ने लोकपाल का कार्ड अन्ना को रिझाने के लिए खेला है.
और अगर सच बोलें तो कांग्रेस ने लोकपाल का कार्ड केजरीवाल के पर कतरने के लिए खेला है.
इधर ८ दिसम्बर को केजरीवाल ने २८ विधायकों को जीताकर देश की राजनीति में इतिहास रचा और उधर सिब्बल और कमलनाथ ने इन विधायकों का जवाब विधेयक से देने का ट्रम्प कार्ड फेंका.
बाकी तैयारी पहले से ही थी. दोस्तों, जिस डील में संतोष भारती हों वहां असंतोष हो ही नही सकता. भारती फर्रुखाबाद से हैं और खुला खेल फर्रुखाबादी खेलने के लिए मशहूर है.
बहरहाल केजरीवाल का कद बढ़े -घटे या अन्ना के सर लोकपाल की जीत का सेहरा बंधे ….ये अहम नही है.
अहम ये है की भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए जो विधयेक लाया जा रहा है उस पर भी डील हो रही है. दलालों ने लोकपाल के लिए भी सरकार से डील कर ली हैं. (क्या इसके आगे कुछ लिखा जा सकता है )