कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आखिरकार अपने विवादित बयान पर चुनाव आयोग को जवाब दे दिया है, जिसके लिए पहले उन्होंने आयोग से मोहलत मांगी थी।
राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए इस आरोप से इनकार किया कि उन्होंने अपने बयान से किसी तरह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है।
उन पर आरोप लगा था कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई चुनावी रैलियों में उन्होंने जो बयान दिए, वे साम्प्रदायिक थे।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा था कि उन्हें इंटेलिजेंस के एक अधिकारी ने बताया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित नौजवानों से संपर्क साध रहे हैं।
इस बयान से काफी बवाल मच गया था और भाजपा समेत सभी दलों ने राहुल को आड़े हाथों लिया।
राहुल ने चुनाव आयोग को ईमेल से भेजे जवाब में लिखा, “मैं बांटने वाली सियासत का जिक्र कर रहा था।” चुनाव आयोग ने भाजपा की शिकायत के बाद 31 अक्टूबर को नोटिस जारी किया था।
भाजपा का इल्जाम था कि राहुल का बयान गैर-जिम्मेदाराना है। राहुल ने मुजफ्फरनगर दंगों का ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ते हुए यह बयान दिया था।