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ॐ बुद्धिजीवाय नमः

happy-diwali3बुद्धिजीवी : सभी होते हैं और जिन्दा होते हैं । चलते फिरते हैं सांस लेते हैं । ये दुखी कभी नहीं होते क्योंकि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना सोच के हर शादी ब्याह में नाच लेते हैं । कभी कभी बाराती घराती भी खुश हो ही जाते हैं कि चलो मनोरंजन हो गया । कभी कभी भगाना भी पड़ जाता है जब नागिन नाच की धुन पर ब्रेक डांस करने लगते हैं । अच्छा नहीं लगता है । बहरहाल । बुद्धिजीवी दो कौड़ी के होते हैं । मैं अपने को एक कौड़ी कह कर पहले ही किनारे सरक लेता हूँ । और बुद्धिजीवी को गंभीर सम्मान प्रदान कर देता हूँ । इनको सारे जगत की खबर और समझ होती है । यूँ कहें तो पुलिस नेता और मीडिया से पहले इनको खबर होती है । उपरोक्त तीनो में भी मानसूनी मच्छरों की तादाद में पाए जाते हैं । कोई विषय ऐसा नहीं होता जिस खेत में ये चरे न हों । खूंटे में बंधी गाय और तेल निकालने वाले कोल्हू का बैल कहना इनका अपमान होता है । ये गाय को दुहकर सीधे बायो बटर निकालते हैं और रेत कंकड़ का भी तेल निकालने में माहिर होते हैं । सूर्य की रौशनी पृथ्वी पर पड़ रही हो और बादलो का जिक्र न हो तो आनंद नहीं आता । विश्व को सन बर्न से बचाने का एकमात्र अधिकार इनके पास होता है । अब ब्रह्म है तो माया भी है अर्थात अमेरिका की बजाने के साथ साथ रूस की भी बजा ही देते हैं । नाक घुसेड़ना इनकी मनपसंद हॉबी होता है । देवताओं से प्रमाणपत्र लेकर येन केन प्रकारेण समाज की पूर्ण मुक्ति इनका प्रिय शगल है । शोशेबाज इतने होते हैं कि आप इनको पढ़ते पढ़ते दिवाली के पटाखे खरीदने का विचार ही त्याग दें या फिर ईद को सेवईया में दूध के प्रयोग को ही बंद कर दें । मिलावटी दूध बोल के । (बकरीद पर नही लिखा क्योंकि मैं वेजिटेरियन हूँ पर भावार्थ आप समझ गए होंगे ) बहरहाल किस्से अजब गजब हैं । ॐ बुद्धिजीवाय नमः ।

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