लखनऊ. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को पार्टी कार्यालय में एक आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पहुंचे। लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। अचानक समाजवादी पार्टी की बैठक को लेकर सभी विधायक और मंत्री असमंजस में दिखे।
मुलायम ने बेटे अखिलेश यादव को ‘पार्टी का युवा चेहरा’ बना कर पेश किया था, लेकिन अब उन्हें यह फैसला गलत लग रहा है। इसलिए वह लोकसभा चुनाव की तैयारी खुद अपनी निगरानी में कर रहे हैं। खबरों के अनुसार उनकी पार्टी के दो सांसदों ने साफ कह दिया है कि मौजूदा हालात में वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में मुलायम को अखिलेश के चलते २०१४ मै अपना पी एम् बन्ने का सपना टूटता नज़र आ रहा है।
अखिलेश को यूपी का मुख्यमंत्री बने 18 महीनों से ज्यादा समय हो चुका है। सपा के इस युवा मुख्यमंत्री ने पार्टी के लिए कई योजनाओं की घोषणा की तो कई महत्वपूर्ण योजनाओं को आकार भी दिया। अपने इस पूरे कार्यकाल में अखिलेश ने मुफ्त लैपटॉप और किसानों के लिए मुफ्त पानी जैसी कई लाभकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाया जो अब तक सपा में पहले नहीं हुई थी। बावजूद इसके उनके अभी तक के कार्यकाल में कई बड़े सांप्रदायिक दंगे भी हुए जिसने पार्टी की छवि लोगों में फिर खराब कर दी।
इसी कारण लंबे अरसे बाद यूपी में लौटी सपा की चिंताएं फिर बढ़ने लगी हैं। इसलिए सपा सु्प्रीमो मुलायम सिंह यादवचुनाव की कमान अपने हाथों में लेते नजर आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में लगातार हो रहे सांप्रदायिक दंगों के चलते सपा की छवि पर बुरा असर पड़ा है। ऐसे में मुलायम मानते हैं कि हालात संभालने के लिए उनके पास काफी कम वक्त है। लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं। यही वजह है कि मुलायम खुद सक्रिय हो गए हैं और चुनाव से जुड़ी एक-एक बात पर खुद नजर रख रहे हैं। वह लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों व अन्य अहम नेताओं से खुद मिल कर उन्हें निर्देश दे रहे हैं।
सपा नेताओं का कहना है कि अखिलेश सपा के मुख्य वोट बैंक मुस्लिम और ओबीसी के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रहे हैं। इसलिए, मुलायम सपा की प्रत्येक सभा में मुस्लिमों और ओबीसी पर केंद्रित भाषण दे रहे हैं ताकि सपा के इन वोटों को चुनावी दौर के लिए सुरक्षित किया जा सके।
मुलायम की सक्रियता की एक वजह भाजपा और नरेंद्र मोदी भी हैं। अखिलेश जहां सपा के प्रति लोगों का कम होता विश्वास लौटाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं, वहीं बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की यूपी में पैठ बढ़ती ही जा रही है। यूपी में मोदी की रैलियों में जुटी भीड़ भी मुलायम की परेशानी का एक कारण है। सपा अपने प्रदेश में ही अभी तक मोदी जितनी लोकप्रिय कोई भी विशिष्ट रैली नहीं कर पाई है। ऐसे में मुलायम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते और अखिलेश पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर रहे।
(इनपुट विद भास्कर डाट कॉम)