राजद की कमान राबड़ी देवी के हाथ आ जाने के बावजूद पार्टी में सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की विरासत पर संग्राम छिड़ने के आसार हैं। इस संग्राम की शुरुआत खुद लालू के परिवार से ही शुरू हो सकती है।
लालू हालांकि अपनी राजनीतिक विरासत अपने छोटे पुत्र तेजस्वी यादव को देने के हिमायती हैं, मगर इस बीच उनके बड़े पुत्र तेज प्रताप ने जहां अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, वहीं उनकी पुत्री मीसा भारती भी पार्टी में शामिल हो कर इस विरासत की जंग में शामिल होना चाहती हैं।
इतना ही नहीं लालू से नाराज हो कर कांग्रेस का दामन थामने वाले साधु यादव भी नई परिस्थितियों में फिर से राजद में अपनी भूमिका तय करने का जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं।
उधर इस राजनीतिक परिवार से उलट लालू के सर्वाधिक विश्वस्त माने जाने वाले वरिष्ठ नेता डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी संचालन के लिए पूर्व योजना के अनुरूप वरिष्ठ नेताओं का कोरग्रुप न बनाए जाने से खासे नाराज हैं।
रघुवंश इस कदर नाराज हैं कि उन्होंने लालू को सजा सुनाए जाने के दिन दिल्ली में गुजारा तो इसके बाद राबड़ी को संचालन की जिम्मेदारी दिलाने के लिए हुई बैठक से भी दूरी बना ली।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक सीबीआई अदालत से दोषी ठहराए जाने के ठीक एक दिन पहले लालू ने तेजस्वी की उपस्थिति में रघुवंश से तीन घंटे तक चर्चा की थी। लालू चाहते थे कि उनकी विरासत तेजस्वी को मिले और इस मामले में रघुवंश तेजस्वी की मदद करें।
रघुवंश ने इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने के साथ ही लालू से उनकी अनुपस्थिति में पार्टी संचालन के लिए वरिष्ठ नेताओं का कोरग्रुप बनाने की सलाह दी थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। मगर पार्टी अंदरखाने सामूहिक नेतृत्व में चलेगी।
मगर राबड़ी ने सोनिया-राहुल की तर्ज पर खुद और तेजस्वी के नेतृत्व में पार्टी चलाने की बात कर रघुवंश को नाराज कर दिया है।