अगामी विधानसभा चुनावी मैदान में कौन प्रत्याशी मैदान में होगा इसे लेकर भाजपा अभी मंथन करने में ही जुटी हुई है।
उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर बुधवार को प्रदेश चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी की अध्यक्षता में कोर ग्रुप की बैठक तो हुई, लेकिन एक बार फिर नतीजा सिफर रहा।
यहां सिर्फ यह तय किया गया कि उम्मीदवार कैसा होना चाहिए। लिहाजा अब यह सूची बृहस्पतिवार को नहीं आने वाली इतना तय हो चुका है।
कांग्रेस पार्टी ने तो पहले ही साफ कर दिया है कि दिवाली से पहले प्रत्याशियों के नाम पर मुहर नहीं लगेगी। क्योंकि पार्टी यह नहीं चाहती है कि किसी का त्योहार खराब हो।
लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय नेता कई मौके पर यह ऐलान कर चुके हैं कि भाजपा की पहली सूची 31 अक्तूबर को आ जाएगी।
बुधवार को भी दिल्ली प्रदेश के नेता उस स्थिति में नहीं पहुंचे कि वे बृहस्पतिवार को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठक में अपनी सूची पर चर्चा करा सके।
लिहाजा यह माना जा रहा है कि दिवाली के पहले पहली सूची जारी करना मुश्किल ही है।
दिल्ली भाजपा के सीएम इन वेटिंग डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि सूची बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
दिल्ली चुनाव समिति की बैठक एक दो दिनों में होगी। उन्होंने कहा कि दिवाली के पहले कोशिश रहेगी कि पहली सूची जारी कर दी जाए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी जल्दी क्या है।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठक होनी है। इस बैठक में राजस्थान और मध्यप्रदेश के प्रत्याशियों पर राष्ट्रीय नेता चर्चा करेंगे। अगली बैठक में दिल्ली के प्रत्याशियों पर चर्चा होगी।
कम अंतर से हारने वालों को मिलेगी तरजीह
भाजपा न केवल अपने पुराने विधायकों को दोबारा आजमाने के मूड है, बल्कि कम अंतर से 2008 चुनाव में पराजित हुए प्रत्याशियों को भी अगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने के मूड में दिखाई पड़ रही है।
बुधवार को दिल्ली के चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित कोर ग्रुप की बैठक में इस तरह के सुझाव पर विशेष तौर पर चर्चा हुई।
बैठक में तीखी नोकझोंक
दिल्ली के चुनाव प्रभारी नितिन गडकरी के घर पर दिल्ली विस चुनाव को लेकर बैठक हुई।
बैठक में भाजपा नेता डॉ. हर्षवर्धन, विजय गोयल, वीके मल्होत्रा, आरके सिन्हा और विजय शर्मा मौजूद थे।
इस दौरान गडकरी के साथ एक वरिष्ठ नेता की तीखी नोकझोंक हुई। गडकरी के नाराजगी के कारण भाजपा नेता ने अपने शब्दों को वापस लेने की बात कही। बाद में मामला शांत हो गया।
उधर, चुनाव समिति को उम्मीदवारी तय करने में सहमति बनाना मुश्किल हो रहा है। क्योंकि इस समिति में शामिल ज्यादातर लोग टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं।
लिहाजा यह तय किया जा रहा है कि मुख्य नेताओं की एक छोटी कोर ग्रुप बने और सूची तैयार करे।
उल्लेखनीय है कि 70 सीटों के लिए 1500 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने दावेदारी पेश की है।