उन्नाव -डौडिया खेड़ा के अमर शहीद राजा राव रामबक्स सिंह के किले में दबे खजाने की पुरातत्व विभाग (एएसआइ) द्वारा जांच में पुष्टि किए जाने के बाद 18 अक्टूबर से वहां खुदाई शुरू होने की संभावना है। डीएम वीके आनंद ने किले में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े करने के निर्देश पुलिस को दिए हैं। उन्नाव के बीघापुर तहसील में बक्सर स्थित सिद्ध पीठ चंद्रिका देवी की छत्रछाया में स्थित डौडिया खेड़ा के जमींदोज हो रहे किले में खजाने की बात सिद्ध संत शोभन सरकार ने कही है।
बक्सर से एक किलोमीटर दूर आश्रम में उन्होंने तीन माह पूर्व स्वप्न देखा था, जिसमें 1857 की क्रांति में अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिलाने वाले डौडिया खेड़ा के राजा राव रामबक्स सिंह के किले में खजाना दबा होने की बात कही गई थी। सरकार ने तीन सितंबर को जिला प्रशासन को पत्र लिखा, जो उनके शिष्य ओमजी ने डीएम को देने के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री और कृषि मंत्री को भी फैक्स किया।
शासन-प्रशासन के निर्देश पर दो अक्टूबर को एसडीएम ने किले का दौरा कर विटियन कोर्ट नाम से प्रसिद्ध इमारत का नजरी नक्शा निकलवाया। फिर तीन अक्टूबर को जियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया और चार अक्टूबर को पुरातत्व विभाग की टीम के साथ वहां की जांच की। इसके बाद 10 अक्टूबर को डॉ. पीके मिश्र के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग की टीम ने पुन: सर्वे किया। सूत्रों के अनुसार जांच में पता चला है कि किले में 15 से 20 फीट की गहराई में स्वर्ण भंडार दबा है।
किले में स्थित रामेश्वर मंदिर से किले की ओर पूरब से पश्चिम दिशा में खजाना होने का टीम को अनुमान है। केंद्र को लिखे पत्र पर सात अक्टूबर को केंद्रीय कृषि व खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री चरण दास महंत ने संत शोभन सरकार से मुलाकात की और खजाने के संकेत दिए। तब संत ने मंत्री से कहा कि खजाने का कुछ हिस्सा इलाके के विकास में खर्च हो तो उनका जवाब था कि जमीन उपलब्ध करा दें तो फूड प्रसंस्करण फैक्ट्री, मेगामार्ट आदि खुलवा देंगे।
खजाने का इतिहास भी गवाह :-
इतिहास में यहां का खजाना अंग्रेजों से बचाने के लिए छिपाने के तथ्य हैं। राजा के अभियोग से संबंधी पत्रावली में उनके घर के नक्शे में नारंगी के वृक्ष के नीचे कोष होने की बात दर्शायी गई है। पत्रावली के अनुसार राजा साहब के पूर्वज बसंत सिंह की यह बारादरी थी। अंग्रेजी जनरल होम ग्रांट द्वारा 10 मई,1857 को डौडिया खेड़ा दुर्ग ध्वस्त करने के बाद रामबक्स सिंह इसी घर में रहते थे। इसके बाद राजा साहब अपनी ससुराल काला काकड़, फिर बनारस चले गए। यहां के नगवा ग्राम में किराए पर रह रहे राजा को जब गिरफ्तार किया गया तो उनके पास बनारस के कोषागार के अभिलेखों के अनुसार चार हजार स्वर्ण मुद्राएं थीं।