जाट आरक्षण का दांव खेल सकती है सरकार

jat-reservation-524c5d35aa0f4_exlयूपीए सरकार लोकसभा चुनाव और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण के मुद्दे पर कदम उठा सकती है।

दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बाहुल्य इलाकों में भाजपा के बढ़ते प्रभाव की आशंका में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल की कोशिश होगी कि किसी तरह जाटों के परंपरागत वोट को उसकी तरफ जाने से रोका जाए।

सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बृहस्पतिवार को इस मुद्दे पर वित्तमंत्री पी. चिदंबरम� की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक हो रही है।

इसमें चिदंबरम के अलावा गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री नारायणसामी और सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय मंत्री कुमारी शैलजा भी शामिल होंगी।

सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के पद पर वंगाला ईश्वरैया को नियुक्त किया है। एक केंद्रीय मंत्री का कहना है कि आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति में हुई देरी के चलते यह मामला लटका है।

खास बात यह है कि अगले कुछ माह में होने वाले विधानसभा चुनाव वाले राज्यों दिल्ली और राजस्थान में जाटों की तादाद काफी ज्यादा है।

राजस्थान के जाटों को केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण मिला हुआ है लेकिन दिल्ली में केवल राज्य स्तर पर आरक्षण है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी जाटों को पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण है। लेकिन केंद्रीय नौकरियों में यहां के जाटों को आरक्षण नहीं मिला है।