नई दिल्ली – रिजर्व बैंक की चिंताओं से चौकन्नी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले महंगाई का मोर्चा फतह करने में जुट गई है। खाद्य वस्तुओं की कीमतें को काबू में करने पर सरकार का ज्यादा जोर है। गेहूं व चावल समेत अन्य खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता बनाए रखने और प्याज की महंगाई पर काबू पाने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। इसी कड़ी में कैबिनेट ने दाल, खाद्य तेल और तिलहन की स्टॉक सीमा की अवधि को सालभर के लिए और बढ़ा दिया है।
रिजर्व बैंक ने न सिर्फ महंगाई पर अपनी चिंता जताई है, बल्कि आने वाले दिनों में इसके और भी भड़कने की आशंका जताई है। शुक्रवार को मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा पेश करते हुए आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के बाकी महीनों में महंगाई की स्थिति पिछले छह महीने के मुकाबले बदतर हो सकती है। आगामी चुनाव इन्हीं छह महीनों के करीब होने है। इस दौरान महंगाई का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। इसीलिए अब उसने कमर कसनी शुरू कर दी है।
जिंस बाजारों में फिलहाल दाल, खाद्य तेल और तिलहन की कीमतों में कोई खास उतार-चढ़ाव नहीं है। गेहूं व चावल की आपूर्ति बनाए रखने के लिए खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में मौजूदा स्टॉक की समीक्षा कर दावा किया कि खाद्य सुरक्षा कानून के अमल के लिए जितने अनाज की जरूरत होगी, वह उपलब्ध है।
आमतौर पर चुनाव के पहले इन वस्तुओं के साथ चीनी के दाम सातवें आसमान पर पहुंच जाते हैं। इसी वजह से केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इन जिंसों की स्टॉक सीमा की अवधि सालभर के और बढ़ा दी गई है, ताकि दाल, तिलहन और खाद्य तेलों की जमाखोरी न हो सके। सरकार का यह फैसला सितंबर 2014 तक लागू रहेगा। हालांकि, ज्यादातर राज्यों की ओर से इस प्रतिबंध को समाप्त करने का आग्रह था। मगर चार प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश स्टॉक सीमा को लागू करने के पक्षधर थे।