नई दिल्ली। त्रिपुरा को देशभर के मेडिकल कॉलेजों में आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अयोग्य उम्मीदवारों का नामांकन कराए जाने के मामले में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रशीद मसूद को दोषी करार दिया गया है।
सीबीआइ ने नामांकन के फर्जीवाड़े को लेकर 1996 में 11 मामले दर्ज किए थे जिनमें से तीन मामलों में मसूद का नाम था। सीबीआइ ने अपने आरोप पत्र में कहा कि त्रिपुरा का अपना कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है। इसलिए प्रत्येक वर्ष यहां के छात्रों के लिए देशभर के मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के लिए सेंट्रल पूल से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कुछ एमबीबीएस एवं बीडीएस की सीटें आवंटित की जाती हैं। इन सीटों को राज्य सरकार मेधा सूची के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को आवंटित करती है। राज्य सरकार ने 1988 में संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए बोर्ड गठित की थी जिसके बाद से छात्रों के चयन के लिए प्रत्येक वर्ष परीक्षा होती है।
सीबीआइ ने आरोप लगाया कि 1990-91 में प्रतिनियुक्ति पर त्रिपुरा आए गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी व तत्कालीन आवासीय आयुक्त गुरदयाल सिंह ने एमबीबीएस सीटों के लिए कुछ उम्मीदवारों के नाम भेजे थे। सीबीआइ के अनुसार, सिंह और मसूद ने मिलकर आपराधिक षड्यंत्र के तहत वैसे भी कुछ उम्मीदवारों को सीटें आवंटित कर दी जिन्होंने परीक्षा पास नहीं की थी। जांच एजेंसी ने जांच में पाया कि उनमें से एक छात्र वह था जिसके पिता उत्तर प्रदेश में एक अखबार के संपादक थे और उन्होंने मसूद को अपने बेटे के लिए एक एमबीबीएस सीट की व्यवस्था करने को कहा था।
सीबीआइ ने इस फर्जीवाड़े में 11 मामले दर्ज किए थे जिनमें से छह में गुरदयाल सिंह का नाम था और पांच मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव आइपीएस अधिकारी अमल कुमार रॉय का आरोपी बनाए गए थे। दोनों अधिकारियों समेत मसूद को कोर्ट ने दोषी करार दिया है।