उत्तर प्रदेश के कानपुर में हैलट से संबद्ध बाल रोग चिकित्सालय में सोमवार शाम एंटीबॉयटिक इंजेक्शन सेफ्जिम (सिफ्ट्रायक्सॉन) लगते ही 40 बच्चों की हालत बिगड़ गई। बच्चों को उल्टियां होने लगीं और कंपकंपी, बुखार आने के साथ ही कुछ बच्चे बेहोश होने लगे।
आनन-फानन में वरिष्ठ डॉक्टरों और प्रशासनिक अफसरों ने पहुंचकर बच्चों का इलाज शुरू कराया। प्रशासनिक अधिकारियों ने नए और पुराने बैच के इंजेक्शन के सैंपल लिए हैं। पूरा बैच सील कर दिया गया है।
हैलट और इससे संबद्ध सभी अस्पतालों में भी इस इंजेक्शन के नए लाट के इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगा दी गई। देर रात तक एक बच्चे की हालत चिंताजनक थी।
कई तीमारदार बच्चों को लेकर दूसरे अस्पतालों में चले गए। प्रिंसिपल ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। शुरुआती जांच में इंजेक्शन के इस बैच में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है।
बाल रोग चिकित्सालय में वायरल फीवर, मलेरिया, पीलिया, टायफायड, मस्तिष्क ज्वर आदि बीमारियों की वजह से इमरजेंसी, वार्ड चार, छह और आठ में करीब 50 बच्चे भर्ती हैं। 40 बच्चों को सोमवार शाम सिफ्ट्रायक्सॉन इंजेक्शन लगाया गया।
कुछ देर बाद एक-एक कर इन बच्चों को उल्टियां होने लगीं। कुछ पर बेहोशी छाने लगी। वार्डों में मौजूद डॉक्टर जब तक कुछ समझ पाते, परिजनों में चीख-पुकार मच गई।
जूनियर डॉक्टरों ने तुरंत मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव, प्रोफेसर आरपी सिंह समेत अन्य सीनियर डॉक्टरों को जानकारी दी। कुछ ही देर में विभागाध्यक्ष समेत अन्य सीनियर डॉक्टर अस्पताल पहुंच गए।
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश चंद्र ने बताया कि रात ही में स्टोर खुलवाकर सभी वार्डों में दूसरे इंजेक्शन भेजकर बच्चों को लगवाए गए। सभी बच्चों को 24 घंटे के लिए आब्जरवेशन में रखा गया है।
शुरुआती जांच में इस इंजेक्शन में फंगस या कोई अन्य गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। अस्पताल में यह इंजेक्शन ‘जी – लेबोरेट्री’ कंपनी से खरीदा गया था।
सिफ्ट्रायक्सॉन इंजेक्शन का नार्मल रिएक्शन है। किसी भी मरीज को यह इंजेक्शन लगते ही उल्टी हो सकती है। जिन बच्चों को ये इंजेक्शन लगाया गया, उन सभी का स्वास्थ्य परीक्षण कर लिया गया है। सभी ठीक हैं।
डॉ. यशवंत राव, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग