चंडीगढ़- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के बीच डील का इंतकाल रद करने वाले वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अशोक खेमका को कभी भी चार्जशीट थमाई जा सकती है। हरियाणा सरकार ने इसका फैसला लगभग कर लिया है। इल्जाम यह होगा कि खेमका ने तबादला आदेश जारी होने के चार दिन के बाद इंतकाल रद किया। इस मामले में खेमका का कहना है कि जब उन्हें चार्जशीट मिलेगी तो जवाब दे दिया जाएगा।
1991 बैच के आइएएस अशोक खेमका के खिलाफ यह कार्रवाई ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) रूल्स के सेक्शन 8 के तहत की जा रही है। खेमका ने गुड़गांव के शिकोहपुर में वाड्रा-डीएलएफ के बीच करीब साढ़े तीन एकड़ भूमि का इंतकाल 15 अक्टूबर, 2012 को रद कर दिया था। 11 अक्टूबर को उन्हें चकबंदी महानिदेशक के पद से हटाया गया था। इस मामले में सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी पहले ही खेमका के आदेशों को असंवैधानिक करार दे चुकी है। उसकी नजर में खेमका ने तबादले के चार दिन पहले आदेश देकर प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया था क्योंकि इससे पहले संबंधित पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया था। कमेटी की रिपोर्ट पर अपने जवाब में खेमका ने साफ कर दिया था कि चकबंदी विभाग के महानिदेशक का पद छोड़ने से साढ़े छह घंटे पहले ही उन्होंने डील का इंतकाल रद किया था। इस पूरे मामले में राज्य के मुख्य सचिव पीके चौधरी का कहना है कि क्या फैसला कब होना है, यह सरकार तय करेगी। उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता।