मुजफ्फरनगर दंगे और देश भर से सांप्रदायिक तनाव की आ रही रिपोर्टों के बीच बुलाई गई राष्ट्रीय एकता परिषद (एनआईसी) की बैठक में नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति केंद्र को खटक गई।
गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बैठक के बाद दो टूक कहा कि खासतौर पर मोदी जैसे नेता को ऐसी बैठक में जरूर आना चाहिए था।
हालांकि शिंदे ने कहा कि ऐसे कई मुख्यमंत्री हैं जो इस बैठक में शरीक नहीं हुए। शिंदे ने खासतौर पर मोदी पर चोट करते हुए कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने प्रतिनिधि भेजे हैं।
लेकिन राष्ट्रीय एकता एक ऐसा विषय है जिसमें सभी मुख्यमंत्रियों का शामिल होना अति महत्वपूर्ण है क्योंकि सांप्रदायिकता जैसे मुद्दे पर मुख्यमंत्रियों की राय काफी अहम होती है। इनसे केंद्र को फैसले लेने में आसानी होती है।
उन्होंने इस बात से इंकार किया कि केंद्र ने यह बैठक जल्दबाजी में सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए बुलाई है।
उन्होंने जानकारी दी कि यह बैठक दो साल से नहीं हुई थी और इसके फैसले के बाद राज्यों को पांच से छह दिन का वक्त दिया गया था।
इस बैठक में सिर्फ 16 मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। बैठक में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में सिर्फ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे।
बैठक में नहीं शरीक होने वाले मुख्यमंत्रियों में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के साथ बसपा सुप्रीमो मायावती, पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु मुख्यमंत्री जयललिता प्रमुख हैं।
इनके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी बैठक में नहीं आए।