भाजपा नेताओं ने रविवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने और मुजफ्फरनगर दंगे की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान जज से कराने की मांग की।
पार्टी ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली राज्य सरकार विपक्ष के नेताओं को निशाना बना रही है, जबकि दंगे में उनकी ही पार्टी के नेताओं की भूमिका साफ हो गई है।
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में राज्य के विधायक और विधान परिषद सदस्यों सहित राज्य के सभी वरिष्ठ नेता शामिल थे।
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल बर्खास्त करने और दंगे की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। राज्य सरकार हिंसा को रोकने और ठोस कार्रवाई करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
इस दौरान राजनाथ ने राज्य सरकार पर पार्टी नेताओं को बिना वजह फंसाने और दंगे के दोषियों को भी बचाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि जब-जब सपा राज्य की सत्ता पर काबिज होती है, राज्य में सांप्रदायिक हिंसा संबंधी घटनाओं की बाढ़ सी आ जाती है।
चूंकि हाल में हुए खुलासे में दंगे में सपा नेताओं की संलिप्तता उजागर हुई है, इसलिए सच सामने लाने के लिए पूरी घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराई जानी चाहिए।
भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे विधायक हुकुम सिंह ने भी सपा सरकार पर भाजपा नेताओं को बिना वजह फंसाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। राज्य सरकार घटना की सच्चाई को दबाना चाहती है। इसलिए जरूरी है कि पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज करें।
विधायक ने कहा कि दंगे में भाजपा के किसी नेता की कोई भूमिका नहीं है। सच क्या है, इसे लोग टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में देख चुके हैं।
मगर राज्य सरकार सच्चाई को दबाने के लिए दंगे का ठीकरा भाजपा पर फोड़ना चाहती है।