दर्जनों मुस्लिम संगठनों के समूह ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत (एआईएमएमएम) ने मुजफ्फरनगर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है।
एआईएमएमएम ने केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को पत्र लिखकर अखिलेश सरकार पर सांप्रदायिक ताकतों से हाथ मिलाने का आरोप लगाया है।
दंगे को सुनियोजित साजिश करार देते हुए संगठन ने कहा है कि राज्य सरकार का कानून व्यवस्था पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। ऐसे में अल्पसंख्यकों की हिफाजत के लिए अखिलेश सरकार को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए।
संगठन के अध्यक्ष जफीरुल इस्लाम खान ने सोमवार को अमर उजाला से बातचीत में कहा कि यह दंगा वोट बैंक की राजनीति के तहत साजिशन कराया गया है। पूरे मामले में राज्य सरकार और सांप्रदायिक ताकतों में मिलीभगत है।
आगामी लोकसभा चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए पूरे राज्य को सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलसाने की साजिश रची गई है। यह दंगा तत्काल रुके और भविष्य में ऐसे हालात पैदा न हों, इसके लिए राज्य सरकार को बर्खास्त कर उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है।
खान ने कहा कि अखिलेश सरकार के छोटे से कार्यकाल के दौरान हुए 27 सांप्रदायिक दंगे इस बात को साबित करते हैं कि या तो राज्य सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण नहीं है या फिर वह खुद इस साजिश में शामिल है।
एआईएमएमएम में जमात-ए-इस्लामी, मरकजी जमीयत, ऑल इंडिया शिया कांफ्रेंस और इंडिया नेशनल लीग जैसे देशभर के एक दर्जन से अधिक मुस्लिम संगठन शामिल हैं।
एआईएमएमएम ने हालात सुधरने के बाद अपनी जांच टीम को मुजफ्फरनगर भेजने और इस घटना से जुड़े तथ्यों को उजागर करने की घोषणा की है।