नई दिल्ली – वातानुकूलित श्रेणियों के यात्रियों को साफ सुथरे बेड रोल प्रदान करने के लिए रेलवे 42 नई आटोमैटिक लांड्री यूनिटें स्थापित कर रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित होने वाली ये धुलाई यूनिटें पहले से स्थापित 21 लांड्रियों के अलावा होंगी। इनके चालू होने के बाद रेलवे के पास इस तरह की कुल 63 लांड्रियां हो जाएंगी।
42 नई लांड्रियों में आठ इसी साल स्थापित की जाएंगी। जिन्हें बीकानेर, हटिया, चक्रधरपुर, हुबली, मैसूर, सूरत, मुंबई [तीसरी यूनिट] तथा डिब्रूगढ़ में स्थापित करने का प्रस्ताव है। अभी जो 21 लांड्रियां काम कर रही हैं उनमें तीन सर्वाधिक आधुनिक लांड्रियां चेन्नई, अहमदाबाद तथा मुंबई में हैं। इनके अलावा मुंबई [दूसरी यूनिट], हावड़ा, सियालदह, कामाख्या [दो यूनिटें], लखनऊ, वाराणसी, जम्मू तवी, सिकंदराबाद, हैदराबाद, टाटानगर, इंदौर, जूनागढ़, दुर्ग, बिलासपुर, समस्तीपुर, दानापुर तथा जबलपुर में भी लांड्रियां स्थापित की जा चुकी हैं। इन सभी इकाइयों को निजी क्षेत्र की मदद से बिल्ट ऑन आपरेट ट्रांसफर [बीओओटी] आधार पर स्थापित किया गया है। यानी एक निश्चित अवधि के बाद रेलवे इनका अधिग्रहण कर सकती है, अथवा कांट्रैक्ट की अवधि बढ़ा सकती है या फिर दूसरे कांट्रैक्टर को सौंप सकती है।
इन मशीनीकृत आधुनिक लांड्रियों में चादर-तौलियों-गिलाफ की शानदार धुलाई होती है जो स्पष्ट रूप से नजर आती है। धुलाई के बाद इन्हें मशीनों से ही प्रेस व तह भी किया जाता है। आज की तारीख में ट्रेनों में सप्लाई होने वाले 30 फीसद बेड रोल की धुलाई इन्हीं लांड्रियों में हो रही है। जैसे ही 42 और लांड्रियां काम करने लगेंगी, लगभग 90 फीसद बेड रोल की धुलाई आटोमैटिक ढंग से होने लगेगी।
रेलवे को अपनी खुद की लांड्रियां स्थापित करने का फैसला गंदे बेड रोल की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर करना पड़ा। पहले ठेके पर बाहरी लांड्रियों से धुलाई कराई जाती थी। रणनीति बदले जाने के बाद जिन ट्रेनों में भी मशीनीकृत लांड्रियों में धुले बेड रोल सप्लाई किए जा रहे हैं वहां यात्रियों की शिकायतें लगभग खत्म हो गई हैं। इस समय ट्रेनों में तकरीबन नौ करोड़ बेड रोल की सालाना सप्लाई होती है, जिसके आगे और बढ़ने की उम्मीद है।