ब्यूनस आयर्स। आखिरकार कुश्ती 2020 ओलंपिक में जगह बनाने में सफल रही। स्क्वॉश और साफ्टबॉल/बेसबॉल भी 2020 ओलंपिक में जगह बनाने के लिए दौड़ में थे, लेकिन रविवार को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) की बैठक में कुश्ती ने बाजी मार ली। कुल 95 वोटों में से 49 कुश्ती के पक्ष में रहे। साफ्टबॉल/बेसबॉल 24 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहा। स्क्वॉश को 22 वोट मिले।
आइओसी ने गत फरवरी में कुश्ती को 2020 ओलंपिक से बाहर कर दिया था और फिर मई में इसे उन तीन खेलों में शार्टलिस्ट किया गया था, जिनमें से किसी एक को 2020 ओलंपिक खेलों के लिए चुना जाना था। कुश्ती, जिसमें फ्रीस्टाइल (पुरुष व महिला) और ग्रीको रोमन स्पर्धा शामिल हैं, 1896 में एथेंस में हुए पहले आधुनिक ओलंपिक से अहम खेलों में शामिल रहा है। इसके अलावा प्राचीन ओलंपिक में भी कुश्ती शामिल थी।
कुश्ती ने ओलंपिक में बने रहने के लिए अपने नियमों में बदलाव किया और उसे दर्शनीय बनाने की कोशिश की। उसके पक्ष में यह भी महत्वपूर्ण रहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने इस खेल को बनाए रखने की वकालत की थी। सिर्फ यही नहीं अंतरराष्ट्रीय राजनीति में रूस के धुर विरोधी अमेरिका और ईरान ने भी कुश्ती का पक्ष लिया।
कुश्ती से भारत का नाता
नई दिल्ली। ओलंपिक खेलों में भारतीय पहलवान अभी तक कुश्ती में चार पदक जीते चुके हैं। भारत को पहला पदक केडी जाधव ने 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य दिलाया था। सुशील कुमार ने 2008 बीजिंग में कांस्य और 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता था। लंदन में योगेश्वर दत्त भी भारत के लिए कांस्य पदक जीत चुके हैं। पिछले साल मिली इस सफलता के बाद भारत में इस खेल को लेकर काफी अच्छा माहौल बन गया था, लेकिन फरवरी में उसे बाहर करने की खबर से मायूसी फैल गई थी। इस खेल में भारत का भविष्य काफी सुनहरा है।
‘मैं अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) के प्रत्येक सदस्य का तंहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्होंने आज कुश्ती के पक्ष में मतदान कर उसे ओलंपिक में बनाए रखा।’ -नेनाद लालोविक (अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय कुश्ती महासंघ)