अब आसान नहीं होगा गोल्ड लोन लेना

gold-loan-5238562cdcec0_exlबढ़ते चालू खाते घाटे के लिए सोने की अत्यधिक मांग को एक प्रमुख वजह बता रहे रिजर्व बैंक ने इसके प्रति लोगों का आकर्षण कम करने की कोशिशें तेज कर दी है।

नई व्यवस्था के तहत गोल्ड लोन देने के नियमों को सख्त बनाते हुए रिजर्व बैंक ने गोल्ड देने वाली कंपनियों को अब सोने की कुल कीमत का 60 फीसदी तक ही लोन देने के निर्देश दिए हैं।

यानी, गिरवी रखे गए सोने के आभूषण के बदले अब उसकी कीमत का 60 फीसदी तक लोन ग्राहक को मिल सकेगा।

रिजर्व बैंक द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, गोल्ड लोन देने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को गिरवी रखे गए सोने की कीमत बांबे बुलियन एसोसिएशन (बीबीए) द्वारा 30 दिन पूर्व निर्धारित 22 कैरेट सोने के बंद भाव के अनुपात पर तय करनी होगी।

वहीं, अब यदि कोई व्यक्ति 20 ग्राम से अधिक सोने के आभूषण गिरवी रखता है, तो उसे सोने पर मालिकाना हक का सबूत गोल्ड देने वाली कंपनी के यहां पेश करना होगा।

ऐसे व्यक्ति की पहचान का पुख्ता प्रमाण रखना एनबीएफसी की जिम्मेदारी होगी।

रिजर्व बैंक का यह भी कहना है कि कर्ज देने वाली कंपनी को सोना गिरवी रखते समय उसके रिजर्व प्राइस का खुलासा करना जरूरी होगा, ताकि किसी कारणवश यदि कर्ज लेने वाला ऋण चुकाने में असमर्थ रहता है, तो उसके द्वारा रखे गए सोने की नीलामी में सहूलियत हो।

यदि गिरवी रखने गए सोने के आभूषण की शुद्धता 22 कैरेट से कम है, तो एनबीएफसी को इसका 22 कैरेट के अनुरूप शुद्धता व वजन में आकलन कर रिजर्व प्राइज तय करना होगा।

रिजर्व बैंक ने मुताबिक, एक लाख रुपए या उससे अधिक के गोल्ड लोन का भुगतान अब चेक के जरिए ही करना अनिवार्य होगा।

इसके साथ ही एनबीएफसी को पांच लाख से अधिक का गोल्ड लोन लेने वाले व्यक्ति के पैन कार्ड की फोटो कॉपी रखनी होगी।

गोल्ड लोन से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों पर भी नकेल कसते हुए रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी द्वारा 2-3 मिनट में लोन उपलब्ध कराने के दावे करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी है।

नए दिशानिर्देशों के तहत रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन देने वाली एनबीएफसी के लिए नई शाखाएं खोलने के नियम भी सख्त कर दिए हैं।

अब गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों को 1,000 से अधिक शाखाएं खोलने के लिए रिजर्व बैंक की पूर्व अनुमति लेनी होगी।