जैसी आशंका थी, तेलंगाना पर मुहर लगने के 24 घंटे के भीतर ही उत्तर प्रदेश के विभाजन के सुर एक बार फिर बुलंद होने लगे हैं। इन स्वरों के बीच केंद्र सरकार और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को घेरने का इरादा भी साफ नजर आ रहा है।बसपा सुप्रीमो मायावती और राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाने के साथ ही मुलायम सिंह को घेरने के संकेत दिए हैं।
छोटे राज्यों के गठन के लिए सरकारों पर दबाव बनाने को लेकर देश भर में चल रहे आंदोलनों के अगुवा नेता 7 अगस्त को दिल्ली में अपनी रणनीति बनाएंगे।
लोकसभा चुनाव करीब हैं, इसलिए केंद्र सरकार इन मांगों पर सहज नहीं रह पाएगी। राहुल गांधी बुंदेलखंड राज्य की वकालत कर चुके हैं। कांग्रेस की दिक्कत यह है कि पार्टी का आधिकारिक पक्ष स्पष्ट होने से पहले इस मुद्दे पर उसमें कुलबुलाहट नजर आने लगी है।
केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन व सांसद जगदंबिका पाल सरीखे कांग्रेसी क्रमश: अलग बुंदेलखंड व पूर्वांचल राज्य की वकालत कर रहे हैं। मायावती का इरादा साफ है।
छोटे राज्यों की मांग पर जोर देकर न केवल वह अपना वोट बैंक और पुख्ता कर रही हैं बल्कि लोकसभा चुनाव के पहले अपने धुर विरोधी मुलायम सिंह को घेरने का एक अच्छा मुद्दा उन्हें मिल गया है।
उधर, जाटलैंड में मुलायम की घुसपैठ रोकने के लिए चौधरी अजित सिंह ने इस मुद्दे को ज्यादा तूल देने की शुरुआत मंगलवार से ही कर दी।
राष्ट्रीय लोकदल ने मथुरा में चल रही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में तय किया है कि हरित प्रदेश के लिए इस बार सामाजिक संगठन, छात्र, कारोबारियों, किसानों और वकीलों को साथ लेकर एक बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा।
आंदोलन का मिजाज केवल राजनीतिक नहीं होगा। साफ है कि अजित सिंह की कोशिश राज्य विभाजन के मुद्दे पर मुलायम को खलनायक साबित कर जाटों को अपने साथ गोलबंद करने की होगी।
गौरतलब है, मुलायम न केवल लोकदल के दो सांसद बल्कि पार्टी के कई दिग्गज नेताओं को भी सपा में शामिल कर चुकेहैं।
केंद्र को भी घेरने की रणनीति
नेशनल फेडरेशन फॉर न्यू स्टेट्स 7 अगस्त को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर साझा रणनीति पर चर्चा करेगा। अलग बुंदेलखंड की आवाज बुलंद करने वाले राजा बुंदेला की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में विदर्भ के डा. अनिल भोंडे, बोडोलैंड के प्रमोद बोडो, गोरखालैंड के डा. मनीष तमस, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाबा रामदेव तोमर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के डा. शंजयन त्रिपाठी शामिल होंगे।
बुंदेला ने कहा, हमें उम्मीद है कि चौधरी अजित सिंह व अमर सिंह भी हमारे साथ होंगे। बकौल बुंदेला लोकसभा चुनाव करीब है, हम इस समय का पूरा फायदा उठाना चाहते हैं। केंद्र सरकार ने अगर इस समय छोटे राज्यों के सवाल पर हीलाहवाली की तो उसे भुगतना पड़ जाएगा।
मांग को असरदार बनाने के लिए विपक्ष और केंद्र सरकार के सहयोगी दलों का भी पूरा सहयोग लिया जाएगा। इसी क्रम में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, बसपा सुप्रीमो मायावती, जदयू नेता शरद यादव और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात करने का इरादा भी है।
राहुल से भी मांगेंगे जवाब
राहुल गांधी ने बुंदेलखंड राज्य के गठन पर सहमति जताई थी। हमें कांग्रेस हाईकमान ने भरोसा दिलाया था कि तेलंगाना के साथ बुंदेलखंड पर फैसला किया जाएगा। हम खामोशी से तेलंगाना पर फैसले का इंतजार कर रहे थे लेकिन जैसा अपेक्षित था, नहीं हुआ।
इसलिए मंगलवार रात को ही बुंदेलखंड व अन्य राज्यों के गठन की मांग को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को ज्ञापन भेज दिया गया।7 अगस्त की बैठक के बाद तीनों से मुलाकात भी की जाएगी।
“दिल्ली से सकारात्मक जवाब न मिलने पर अपने-अपने क्षेत्रों में सड़कों पर उतरा जाएगा। दिल्ली और लखनऊ की सरकारों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इस बार आंदोलन उग्र भी हो सकता है।”
– राजा बुंदेला, नेशनल फेडरेशन फार न्यू स्टेट्स
अब फैसला हो ही जाए
“आजादी के पहले से अलग बुंदेलखंड की मांग हो रही है। अब इस मसले पर फैसला हो ही जाना चाहिए। इलाके के ज्यादातर लोगों की राय है कि दो राज्यों में बंटे बुंदेलखंड को मिलाकर एक राज्य बना देना चाहिए। पहले राज्य पुनर्गठन आयोग के एक सदस्य ने भी अलग बुंदेलखंड राज्य के गठन की सिफारिश की थी। बेहद पिछड़े इस इलाके के विकास के लिए भी अलग राज्य बनना आवश्यक है। सिर्फ आर्थिक पैकेज से क्षेत्र का विकास नहीं हो रहा है।”
– प्रदीप जैन आदित्य, केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री