देश के किसी हिस्से में गैंगरेप जैसी वारदात हो और नेता नसीहत न दें, ऐसा हो नहीं सकता। मुंबई गैंगरेप के बाद समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने सलाह दी है कि केवल कड़े कानून बनाने से ही बलात्कार के मामले नहीं रुकेंगे, सामाजिक सोच भी बदलने की जरूरत है।
दुष्कर्म जैसी वारदात के लिए महिलाओं को ही कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा है कि रहन-सहन और कपड़े किस तरह के होते हैं, ये भी देखना पड़ेगा।
नरेश अग्रवाल पहले नेता नहीं हैं, जिन्होंने दुष्कर्म जैसी वारदात के लिए महिलाओं के पहनावे को जिम्मेदार ठहराया हो। ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है।
दरअसल रेप या छेड़छाड़ जैसे मामलों में कानून व्यवस्था के बजाय महिलाओं के कपड़े और उनके रहन सहन को दोषी ठहराना, ऐसा मुद्दा है जब नेता अपनी राजनीतिक विचारधारा और क्षेत्रीय मुद्दों से ऊपर उठकर एक सुर में बयान देते रहे हैं।
यहां हम ऐसे चुनिंदा बयानों को दे रहे हैं, जो अलग दलों के नेताओं ने महिलाओं के मामलों में दिए हैं-
विदेशों में महिलाएं जींस और टी शर्ट पहनती हैं, मर्दों के साथ डांस करती हैं, शराब पीतीं हैं। विदेशों के लिए ये अच्छा है लेकिन भारत के लिए नहीं।-
बाबूलाल गौर, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
टीवी पर संभ्रांत तबके की रंगी-पुती महिलाए रेप जैसे मुद्दे पर बात कर रही हैं। ये स्टूडेंट्स तो नहीं हो सकतीं।-
अभिजीत मुखर्जी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और कांग्रेस सांसद
जब तक कोई महिला टेढ़ी नजर से हंसेगी नहीं, तब तक कोई आदमी उसे छेड़ेगा नहीं।-
सत्यदेव कटारे, महासचिव, मध्यप्रदेश कांग्रेस
महिलाओं को ऐसे सजना-धजना नहीं चाहिए, जिससे उत्तेजना पैदा हो। उन्हें लक्ष्मण रेखा के अंदर रहना चाहिए, सीता लक्ष्मण रेखा पार करेगी तो रावण तो आएगा ही।
कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार