आम तौर पर देखा गया है कि लव अफेयर जब तक दुरुस्त रहता है, तो कोई दिक्कत नहीं होती है। लेकिन जब गड़बड़ होता है, तो कई बार लड़की, लड़के पर बलात्कार का इल्जाम लगा देती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
बंबई उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि प्रेम कहानी में विराम आने का यह मतलब नहीं कि युवती गर्भवती होने पर युवक पर बलात्कार का इल्जाम लगा दे।
जस्टिस साधना जाधव ने 39 वर्षीय मनीष कोटियां की गिरफ्तारी और दोषी ठहराने के तीन साल बाद बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया।
जस्टिस जाधव ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष ने जिरह में स्वीकार किया कि युवती का आरोपी के साथ प्रेम संबंध रहा है और वह उससे शादी भी करना चाहती थी। ऐसे हालात में आईपीसी की धारा 376 के तहत उसे दोषी ठहराने का मामला नहीं बनता।’
अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों पर गौर किया और पाया कि आरोपी ने युवती के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था। जज ने कहा, ‘शिकायत करने वाली महिला पढ़ी-लिखी और वयस्क है।’
जस्टिस जाधव ने कहा, ‘वह अच्छी तरह जानती थी कि कोटियां के मन में उसे लेकर आकर्षण है। इसके बावजूद उसने कोटियां के साथ गोरई जाने का फैसला किया। अपना जन्मदिन मनाने के लिए वह उसके साथ होटल भी गई। उसे तमाम नतीजों का अंदाजा पहले से था।’
अदालत ने हालांकि कोटियां को धोखाधड़ी का दोषी पाया, क्योंकि उसने पीड़िता को यह नहीं बताया था कि वह पहले से शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं। क्योंकि वह तीन साल जेल में गुजार चुका है, ऐसे में उसकी रिहाई का आदेश दे दिया गया।