सारे देश को मोदी कबूल नही इसमें नयी बात क्या है ? बीजेपी को खुद मोदी कबूल नही ये भी कोई नई बात नहीं ? तो फिर मोदी दिल्ली दरबार तक पहुंचे कैसे?
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ज़रा सोचिये…क्या आपने कभी अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का विश्लेषण किया है ? क्या आपने कभी राजनाथ सिंह का विश्लेषण किया है ? या आपने अनंत कुमार या वेंकैया नायडू पर गौर किया ? ये बड़े नेता पिछले ९ सालों से संसद और संसद के बाहर क्या कर रहे थे ? मित्रों ये वो नेता हैं जो कभी अटल के पीछे खड़े हो गए कभी अडवाणी के पीछे खड़े हो गए और कभी संघ के पीछे ? इन में से एक भी नेता की अपनी मेहनत से जीती हुई लोकसभा की एक सीट नही है . हरियाणा की सुषमा हरयाणा में कहाँ है ? दिल्ली के अरुण जेटली कहाँ है दिल्ली में? पूर्वांचल में क्या एक भी सीट से लड़कर दिखा सकते है राजनाथ? आंध्र में वेंकैया नायडू क्या विधायक का चुनाव जीत सकते है? अनंत कुमार ने कर्णाटक में पार्टी को आपस में भिड़ा कर और कौनसी राजनीती की है?
मित्रों नेता सिर्फ भाषण से नही बनते ? बीजेपी में किसी भी राष्ट्रीय नेता ने पिछले ९ सालों में सड़क पर कोई संगर्ष नही किया ? अन्ना और केजरीवाल दिल्ली में जेल गए पर इस देश की राज्य सभा और लोक सभा में नेता विपक्ष हेलिकॉप्टर से नीचे नही उतरे ? क्या इनमे से किसी की हसियत है की वो १० जनपथ के सामने जाकर सोनिया को ललकार सके?
समझौते और सहूलियतों की राजनीती के है इन बड़े नेताओं ने जबकि इन्ही के मुताबिक देश जल रहा था, भ्रस्ताचार के गर्त में डूबा था.
मित्रों इसी कमज़ोर विपक्ष का फायदा एक भ्रष्ट सरकार ने उठाया और बीजेपी की इसी कमज़ोर सेंट्रल लीडरशिप में मोदी ने भी सेंध लगाई . चंगेज खान की तरह मोदी ने दिल्ली की पार्टी पर हमला करके उसे लूट लिया है …अंग्रेजी में ऐसे सत्ता हस्तांतरण को कू कहते है…आज सेंट्रल लीडरशिप मोदी के आगे शाष्टांग है. हालात तो ये है की बीजेपी के कुछ बड़े नेता अपने बचाव में नितीश, उद्धव और कुछ और मित्र दलों के नेताओं से मोदी पर वार करवा रहे हैं. ऐसी स्थिती में बीजेपी से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं ?
बार बार पढिये …फिर सोचिये और लिखए
दीपक शर्मा आज तक से जुड़े है और ये पोस्ट उनके फेसबुक प्रोफाइल से साभार ली गयी है