बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर सीरियल बम ब्लास्ट के लिए अमोनियम नाइट्रेट (एनएच4-एनओ3) से बम तैयार किए गए थे और उनमें चीन निर्मित घड़ी से विस्फोट किया गया था।
फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम ने घटनास्थल से 12 साक्ष्य एकत्र किए हैं, जिसकी जांच लैब में की जानी है। इसके साथ ही राष्ट्रीय जांच एजेसी (एनआइए) की टीम ने अलग से साक्ष्य जुटाए हैं।
इस बीच, सीरियल बम ब्लास्ट के दो दिन बाद सीआरपीएफ और बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) ने बोधगया के मंदिरों व मठों की सुरक्षा संभाल ली है।
उधर, एनआईए टीम ने मंगलवार को पटना से महिला समेत चार लोगों को हिरासत में लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
पुलिस ने दावा किया है कि इन चारों ने घटना के दिन सुबह 6:30 मिनट पर महाबोधि मंदिर कांप्लेक्स के पास एक होटल से चेक आउट किया था।
चारों ने दो घंटे पहले ही होटल में चेक इन किया था। इससे पहले घटना के दिन ही एनआईए ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया था। फिलहाल जांच एजेंसी सीसीटीवी फुटेज से आतंकी हमले के किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।
पुलिस के अनुसार अमोनियम नाइट्रेट-एनएच4-एनओ3 किसानों के घर में आसानी से उपलब्ध होता है। बाजार में खाद की प्राय: दुकानों पर यह उपलब्ध होता है। इसकी क्षमता अमूमन कम होती है, लेकिन इसे बढ़ाया जा सकता है।
विस्फोटक में अमोनियम नाइट्रेट के साथ ही उपयोग किए गए डेटोनेटर कहां से आए, फिलहाल इसकी पड़ताल की जा रही है। डेटोनेटर में लगे स्टिकर से इसके निर्माण की जगह की पहचान की जा सकती है।
इसके लिए पहाड़ी क्षेत्रों में खनन कार्य में संलग्न एजेंसियों पर भी पुलिस को संदेह है। खनन के दौरान विस्फोट के लिए डेटोनेटर के उपयोग व खरीद का लाइसेंस डिप्टी चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव के माध्यम से बिहार-झारखंड में दिया जाता है।
विस्फोटक सामग्री बनानेवाली कंपनी ही डेटोनेटर की आपूर्ति करती है। इसके निजी व गैरकानूनी उपयोग पर पाबंदी लगी हुई है।
विस्फोटक बनानेवाली कंपनियां राउरकेला-ओडिशा, आंध्रप्रदेश, बंगाल सहित विभिन्न प्रदेशों में कार्य कर रही हैं। बोधगया में 12 वोल्ट की बैट्री से बमों को ब्लॉस्ट कराने के लिए टाइमिंग सेट की गई थी।
अमोनियम नाइट्रेट में डीजल मिलाकर उत्प्रेरक का काम लिया गया। इसे तार से जोड़ कर डेटोनेटर के माध्यम से विस्फोट कराया गया था। चीन में बनी घड़ी के टाइम को सेट करने में संभवत: आतंकियों से भूल हो गई।