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गुजरात दंगे पर मोदी की बनती है नैतिक जिम्मेदारी: गोविंदाचार्य

K-N-govindacharyaनई दिल्ली।। वैसे तो गुजरात दंगों को लेकर तमाम विरोधी नरेंद्र मोदी को कटघरे में खडा़ करते रहते हैं, लेकिन इस बार उनके एक पुराने ‘गुरु’ ने ही उन पर आरोप लगा दिया है। किसी जमाने में ताकतवर बीजेपी नेता और पार्टी में थिंक टैंक माने जाने वाले के. एन. गोविंदाचार्य ने कहा है कि नरेंद्र मोदी को 2002 में हुए गुजरात दंगों की जिम्मेदारी से इसलिए बरी नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह बाद में चुनाव जीत गए। गोविंदाचार्य का मानना है कि मोदी को इन दंगों की नैतिक जिम्मेदारी जरूर लेनी चाहिए थी। गौरतलब है कि करीब 12 साल पहले बीजेपी छोड़ चुके गोविंदाचार्य राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन नाम का संगठन चलाते हैं। गोविंदाचार्य ने इसके पहले भी बीजेपी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मुखौटा कहा था। उस वक्त वह बीजेपी के हिस्सा थे।

गोविंदाचार्य ने ये बातें हिन्दी न्यूज वेबसाइट बीबीसी हिन्दी के साथ बातचीत में कहीं। गोविंदाचार्य मानते हैं कि गुजरात में हुए दंगों के बारे में यह कहना ठीक नहीं है कि वह गोधरा में मारे गए लोगों की प्रतिक्रिया में हुए थे। उन्होंने कहा कि यह मानना कि गुजरात दंगे गोधरा की प्रतिक्रिया थी, इससे बहस करने से काम नहीं चलता। या तो आप दोनों दंगों को गलत मानिए या फिर दोनों को सही मान लीजिए। गोविंदाचार्य ने कहा कि हम देखते हैं कि दोनों ही घटनाएं गलत थीं। राजधर्म का तकाजा था कि सरकार सक्रिय रहती।

उन्होने कहा कि सिर्फ चुनाव में जीत सही और गलत का पैमाना नहीं हो सकता। अगर कोई कहे कि चुनावी जीत के कारण ही आदमी को सही ठहराया जा सकता है, तो लालू प्रसाद यादव को भी चारा घोटाले का जिम्मेदार नहीं माना जाएगा, क्योंकि वह भी (घोटाला सामने आने के बाद) चुनाव जीते हैं।

आरएसएस राजनीति से अलग नहीं
गोविंदाचार्य ने बीबीसी के साथ बातचीत में आरएसएस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आरएसएस भी राजनीति से अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं 1960 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का स्वयंसेवक बना था। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने नरेंद्र मोदी की ताजपोशी कर दी है। इस तरह का कोई बयान न सरसंघचालक और न ही सरकार्यवाह ही ओर से आया है। लेकिन, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आरएसएस राजनीति में दखल नहीं देता। जब आरएसएस के 3 सह सरकार्यवाह टीवी पर लालकृष्ण आडवाणी के घर दरवाज़े पर दिखाई पड़ेंगे, तब यह किसी को भी समझाया नहीं जा सकेगा कि संघ पूरी तरह से तटस्थ या निरपेक्ष है। उन्होंने कहा कि अगर आरएसएस के अधिकारी कहें कि जो भी अध्यक्ष (बीजेपी का) बनेगा वह कम से कम दिल्ली के 4 नेताओं में से नहीं बनेगा और इतना ठोक कर बोलने के बाद अगर कोई कहे कि आरएसएस एकदम अलग है तो वह सचाई के प्रति अन्याय होगा।

NCR Khabar News Desk

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