नई दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी ने रोहित शेखर को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा न तो वे रोहित के जैविक पिता है न ही वह उनका जैविक पुत्र। हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त लोकल कमिश्नर के समक्ष रोहित से जिरह करते हुए तिवारी के अधिवक्ता ने यह तर्क रखा। दूसरी ओर, रोहित ने उनके तर्कों को गलत बताया। लोकल कमिश्नर ने अब तिवारी को अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया है।
लोकल कमिश्नर अवकाशप्राप्त न्यायाधीश एसएम चोपड़ा के समक्ष पेश रोहित के बयान की प्रक्रिया सोमवार को पूरी हो गई। इसी आधार पर न्यायाधीश चोपड़ा ने तिवारी को चार सप्ताह में अपना लिखित पक्ष रखने का निर्देश दिया है। इसके अलावा उन्होंने तिवारी को 21 व 22 अगस्त को पेश होने का निर्देश भी दिया है ताकि उनसे जिरह हो सके। अदालत ने तिवारी को जिरह के लिए अपने खर्चे पर हाईकोर्ट में स्थान की बुकिंग, स्टेनों इत्यादि का भी प्रबंध करने का निर्देश दिया है।
इससे पूर्व तिवारी के अधिवक्ता ने रोहित से जिरह की। तिवारी ने उस डीएनए रिपोर्ट को चुनौती दी है जिसमें रोहित को उनका बेटा बताया गया था। तिवारी के अधिवक्ता ने रोहित से कहा कि तिवारी उनके जैविक पिता नहीं है और न ही वे उनके जैविक पुत्र। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट सही नहीं है। वहीं रोहित ने उनके तथ्यों को गलत बताते हुए कहा वे तिवारी के पुत्र है। रोहित ने जिरह के दौरान तिवारी के उस तर्क को भी गलत बताया कि उसने किसी खास मकसद से यह याचिका दायर की है। रोहित ने हाल ही में हाईकोर्ट के आदेशानुसार अपने, एनडी तिवारी के और उज्जवला शर्मा के डीएनए टेस्ट रिपोर्ट की प्रति पेश की थी। उन्होंने कहा इस रिपोर्ट से स्पष्ट है तिवारी ही उनके जैविक पिता है। हाईकोर्ट ने उज्जवला शर्मा के बयान व जिरह के आधार पर रोहित व तिवारी के बयान दर्ज करने के लिए लोकल कमिश्नर नियुक्त किया था। तिवारी ने डीएनए रिपोर्ट को चुनौती देते हुए हाल ही में उज्जवला शर्मा से जिरह पूरी की थी।